बिलाल लोन और मीरवाइज़ जैसे अलगाववादियों के अलावा निगरानी के संभावित लक्ष्यों की सूची में सरकार की नीतियों की आलोचना करने वाले दिल्ली के एक प्रमुख कार्यकर्ता, कई पत्रकार और मुख्यधारा के कुछ नेताओं के परिवार के सदस्य शामिल हैं.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने लोकसभा में बताया कि एक अगस्त 2019 के बाद से कई अलगाववादियों, पथराव करने वालों समेत 627 लोगों को हिरासत में लिया गया था, जिनमें से 454 लोगों को रिहा किया जा चुका है. जन सुरक्षा क़ानून के तहत कोई भी व्यक्ति नज़रबंद नहीं है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक 14 फरवरी को हुए पुलवामा हमले से लेकर पांच अगस्त तक जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट की श्रीनगर पीठ में 150 बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं दाखिल की गई हैं. इनमें जन सुरक्षा क़ानून से जुड़े 39 मामलों में से अदालत ने लगभग 80 फीसदी मामलों में हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा करने का आदेश दिया है.