सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी को लेकर भविष्य में दर्ज हो सकने वाली एफ़आईआर में भी दंडात्मक कार्रवाई से राहत दे दी. बीते एक जुलाई को शीर्ष अदालत ने इस मामले को लेकर शर्मा की कड़ी आलोचना करते हुए कहा था कि उन्होंने अपनी ‘बेलगाम ज़ुबान’ से ‘पूरे देश को आग में झोंक दिया है’, उन्हें पूरे देश से माफ़ी मांगनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ टीवी बहस के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी के लिए निलंबित भाजपा नेता नूपुर शर्मा द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में उनके ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर को दिल्ली ट्रासंफर करने के लिए दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. पीठ ने उस टीवी बहस की मेज़बानी के लिए समाचार चैनल टाइम्स नाउ पर भी कड़ा रुख अपनाया. अदालत ने पूछा कि टीवी पर वह बहस किस लिए थी? केवल एक एजेंडा को बढ़ावा देने के लिए?
पिछले हफ़्ते एक अधिकारी ने दावा किया था कि नूपुर शर्मा को समन देने के लिए दिल्ली गई मुंबई पुलिस की एक टीम उन्हें नहीं ढूंढ पाई थी. फ़िर उन्हें ईमेल के ज़रिये समन भेजकर 25 जून को दक्षिण मुंबई के पायधुनी थाने में पेश होने के लिए कहा गया था. इसी तरह अमहर्स्ट स्ट्रीट थाने में शिकायत दर्ज होने के बाद कोलकाता पुलिस ने उन्हें समन जारी कर पेश होने को कहा था.
उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में इत्तिहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख मौलाना तौकीर रज़ा के आह्वान पर भाजपा नेता नूपुर शर्मा की गिरफ़्तारी की मांग को लेकर बीते 19 जून आयोजित कार्यक्रम में निर्धारित संख्या से अधिक लोगों के शामिल होने पर आयोजकों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया गया है. इधर पैगंबर पर टिप्पणी को लेकर कोलकाता के एक थाने में दर्ज मामले में निलंबित भाजपा नेता नूपुर शर्मा पेश नहीं हुईं.
पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के ख़िलाफ़ 28 मई को रज़ा अकादमी के संयुक्त सचिव इरफ़ान शेख़ की शिकायत पर दक्षिण मुंबई के पायधुनी थाने में एफ़आईआर दर्ज की गई थी. शर्मा को बयान दर्ज कराने के लिए 25 जून को पायधुनी थाने में पेश होने के लिए कहा गया है.