एलजीबीटीक्यूआई+ अधिकारों के लिए काम करने वाले सहायता समूहों और संगठनों की हेल्पलाइन पर मदद मांगने के लिए आई फोन कॉल की संख्या में हुई कई गुना बढ़ोतरी कोविड-19 महामारी के दौरान समुदाय के लिए बढ़ी चुनौतियों को दिखाती है.
चीन के वुहान शहर में दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था, जिसके बाद इस महामारी ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया.
कोविड-19 मरीज़ों के इलाज में लगे डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को वेतन, उचित आवास, और क्वारंटीन सुविधा मुहैया कराने की मांग की याचिका की सुनवाई में केंद्र ने कहा कि कुछ राज्य वेतन संबंधी निर्देश लागू नहीं कर रहे हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि आप इतने बेबस भी नहीं हैं कि अपने आदेशों को लागू न करा पाएं.
मार्च में जब देश में कोविड संक्रमण की शुरुआत हुई, तब बिहार में बहुत कम मामले सामने आए थे, लेकिन अब आलम यह है कि राज्य में संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र दोबारा लॉकडाउन लगाना पड़ा है और मुख्यमंत्री के परिजनों से लेकर कई ज़िलों के प्रशासनिक अधिकारी तक कोरोना की चपेट में आ चुके हैं.
मामला कामरूप ज़िले के एक कोविड केयर सेंटर का है, जहां रह रहे मरीज़ों का आरोप है कि उन्हें सेंटर में उचित खाना-पीना नहीं दिया जा रहा, बिस्तरों की हालत भी ठीक नहीं है, साथ ही 10-12 मरीज़ों को एक ही कमरे में रखा गया है.
मामला तिरुवनंतपुरम के पुन्थुरा इलाके का है. इलाके में कोविड-19 के मामले बढ़ने के बाद प्रशासन ने उसको कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया था. स्थानीय निवासियों का आरोप है कि स्वास्थ्यकर्मी कोरोना वायरस परीक्षण के लिए नमूना लेने के बाद बिना रिपोर्ट आए लोगों को क्वारंटीन सेंटर ले जा रहे थे.
बीएमसी ने कहा है कि इनमें से 5.34 लाख लोगों की पहचान उच्च जोख़िम वाले संपर्क के रूप में की गई है. साथ ही यह भी बताया गया कि अब तक कुल 13.28 लाख लोग 14 दिन का क्वारंटीन पूरा कर चुके हैं.
ज़िला प्रशासन ने बताया कि शादी समारोह में कोरोना वायरस के संबंध में तय किए गए दिशा-निर्देशों के उल्लंघन की जांच हो रही है. पटना के पालीगंज प्रखंड में पड़ने वाले डीहपाली गांव में 259 नमूने की जांच के बाद तक़रीबन 100 लोग संक्रमित पाए गए हैं.
मामला पटना ज़िले के पालीगंज का है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि दूल्हे की मौत के बाद कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग से 350 से अधिक लोगों का कोरोना परीक्षण किया जा चुका है जिसमें से 100 से अधिक लोग संक्रमित पाए गए हैं.
कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के इलाज में लगे डॉक्टरों, नर्सों तथा अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के लिए उचित व्यवस्था और वेतन नहीं मुहैया कराने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है.
बीते सप्ताह बिहार सरकार ने 15 जून के बाद से सभी प्रखंड स्तरीय क्वारंटीन सेंटर्स को बंद करने का आदेश दिया है. दूसरे राज्यों से आ रहे कामगारों में कोविड संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच लिए गए सरकार के इस फ़ैसले पर सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा है कि इन सेंटर्स की फंड संबंधी गड़बड़ियों के चलते यह निर्णय लिया गया है.
बिहार सरकार के आंकड़ों के मुताबिक बुधवार शाम तक राज्य में कोरोना संक्रमण से 25 मौतें हुई हैं. सरकार द्वारा क्वारंटीन सेंटर्स में हुई मौतों के बारे में कोई आंकड़ा जारी नहीं किया गया है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अब तक 10 ज़िलों के क्वारंटीन सेंटर्स में 20 से अधिक जानें जा चुकी हैं.
मामला बिहार के शेखपुरा का है. शेखपुरा से जदयू विधायक रणधीर कुमार सोनी एक क्वारंटीन सेंटर का दौरा करने पहुंचे थे. वहां क्वारंटीन किए गए प्रवासी मजदूरों ने उनसे पूछा था कि बिहार और केंद्र में मौजूद एनडीए सरकारें रोजगार क्यों पैदा नहीं कर पा रही हैं?
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि हमारी प्राथमिकता इस बीमारी को सामुदायिक स्तर पर फैलने से रोकना है.
बीते दिनों केंद्र सरकार ने कोविड-19 संबंधी ड्यूटी कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों के क्वारंटीन नियमों में बदलाव करते हुए कहा है कि उन्हें तब तक क्वारंटीन में भेजने की ज़रूरत नहीं है, जब तक उन्हें या तो बहुत अधिक ख़तरा न हो या वायरस संक्रमण के लक्षण नज़र आ रहे हों. दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों के डॉक्टरों द्वारा इसका विरोध किया गया है.