बंगनामा: बंगाली विचार की वाहक लिटिल मैगज़ीन

बंगाल में लिटिल मैगज़ीन की शुरुआत पिछली शताब्दी के तीसरे दशक में 'कल्लोल' के साथ हुई. आरंभ से ही ये पत्रिकाएं लीक से हटकर पनपते प्रयोगात्मक तथा वैकल्पिक सोच की वाहन बनीं और बाद में वाम विचारधारा से भी प्रभावित हुईं. बंगनामा स्तंभ की ग्यारहवीं क़िस्त.

काज़ी नज़रुल इस्लाम: ‘हिंदू हैं या मुसलमान, यह सवाल कौन पूछता है?’

पुण्यतिथि विशेष: असहयोग आंदोलन की पृष्ठभूमि में रची कविता में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ विद्रोह के आह्वान के बाद नज़रुल इस्लाम ‘विद्रोही कवि’ कहलाए. उपनिवेशवाद, धार्मिक कट्टरता और फासीवाद के विरोध की अगुआई करने वाली उनकी रचनाओं से ही इंडो-इस्लामिक पुनर्जागरण का आगाज़ हुआ माना जाता है.

आज देश में स्वतंत्रता बची है या महज़ स्वतंत्रता का धोखा?

समानता के बिना स्वतंत्रता और स्वतंत्रता के बिना समानता पूरी नहीं हो सकती. बाबा साहब आंबेडकर का भी यही मानना था कि अगर राज्य समाज में समानता की स्थापना नहीं करेगा, तो देशवासियों की नागरिक, आर्थिक और राजनीतिक स्वतंत्रताएं महज धोखा सिद्ध होंगी.

पश्चिम बंगाल: ममता बनर्जी को सम्मानित किए जाने के विरोध में लेखक ने अपना पुरस्कार लौटाया

बांग्ला भाषा की लेखक एवं लोक संस्कृति शोधकर्ता रत्ना राशिद बनर्जी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान को लेकर विशेष पुरस्कार देने के पश्चिमबंगा बांग्ला अकादमी के फैसले के विरोध में यह क़दम उठाया है. उन्होंने कहा कि यह एक बुरी मिसाल कायम करेगा. अकादमी का वह बयान सत्य का उपहास है, जिसमें साहित्य के क्षेत्र में मुख्यमंत्री के अथक प्रयासों की प्रशंसा की गई है.

पश्चिम बंगालः रबींद्रनाथ टैगोर के रंग को लेकर केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी से विवाद

केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रबींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय में अपने संबोधन के दौरान यह टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि टैगोर का रंग अधिक गोरा नहीं होने के कारण उनकी मां और परिवार के कई अन्य सदस्य उन्हें गोद में नहीं लेते थे.

भाजपा शासित राज्य में शिक्षा का भगवाकरण किया जा रहाः पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री

यूपी बोर्ड ने नोबेल पुरस्कार विजेता रबींद्रनाथ टैगोर और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन की कृतियों को कक्षा दसवीं और बारहवीं के पाठ्यक्रमों से हटा दिया है. टैगोर की लघु कहानी ‘द होम कमिंग’ और राधाकृष्णन का निबंध ‘द वीमेन एजुकेशन’ को पहले भी कक्षा बारहवीं के पाठ्यक्रम से हटाया गया था.

इस बार तो बंगाल को टैगोर का जन्मोत्सव मनाने का हक़ है…

2021 में बंगाल गर्वपूर्वक अपने कवि से कह सकता है, ये जो फूल आपको अर्पित करने मैं आया हूं वे सच्चे हैं, नकली नहीं. इस बार प्रेम, सद्भाव, शालीनता के लिए स्थान बचा सका हूं. यह कितने काल तक रहेगा इसकी गारंटी नहीं पर यह क्या कम है कि इस बार घृणा और हिंसा के झंझावात में भी ये कोमल पुष्प बचाए जा सके.

सांप्रदायिकता को ख़ारिज किए बिना टैगोर या नेताजी के उत्तराधिकारी नहीं बन सकते: अमर्त्य सेन

नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा कि रबींद्रनाथ टैगोर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, ईश्वर चंद्र विद्यासागर और स्वामी विवेकानंद, सभी ने संयुक्त बंगाली संस्कृति की चाहत और पैरवी की थी और उनके सामाजिक लक्ष्य में एक समुदाय को दूसरे समुदाय के ख़िलाफ़ भड़काने की कोई जगह नहीं है.

पश्चिम बंगाल: अमर्त्य सेन और विश्वभारती यूनिवर्सिटी के बीच चल रही खींचतान की क्या वजह है

पश्चिम बंगाल की विश्व भारती यूनिवर्सिटी द्वारा परिसर में अवैध क़ब्ज़े हटाने के लिए बनाई गई सूची में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन की पारिवारिक संपत्ति को भी शामिल किया है. सेन ने इससे इनकार करते हुए कुलपति के केंद्र सरकार के इशारे पर काम करने की बात कही है.

बंगाल: विश्वभारती प्रशासन के ख़िलाफ़ टैगोर के वंशजों ने सीएम से की शिकायत, कहा- जेल जैसा माहौल

शांतिनिकेतन के कई हिस्सों को चारदीवारी बनाकर घेरा जा रहा है. इसके ख़िलाफ़ गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर के वंशजों समेत 40 हस्तियों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा है. उन्हें डर है कि शांतिनिकेतन में विश्व भारती को श्रीनिकेतन गांव से जोड़ने वाले पुराने विरासत मार्ग को बंद कर दिया जाएगा.

‘बाइस्कोपवाला के ज़रिये हमने टैगोर की काबुलीवाला की कहानी आज के दौर के हिसाब से कही है’

तकरीबन 150 विज्ञापन फिल्में बना चुके ऐड मेकर देब मेढ़ेकर से उनकी पहली फिल्म बाइस्कोपवाला को लेकर प्रशांत वर्मा की बातचीत.

फिल्म उद्योग में ‘एलियन’ की तरह हूं: डैनी

रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी ‘काबुलीवाला’ पर आधारित फिल्म ‘बाइस्कोपवाला’ में अभिनेता डैनी डेनजोंग्पा मुख्य किरदार निभा रहे हैं. फिल्म 25 मई को रिलीज़ हो रही है.

‘यह कवि अपराजेय निराला, जिसको मिला गरल का प्याला’

निराला के देखने का दायरा बहुत बड़ा था. ‘देखना’ वेदना से गुज़रना है. उन्होंने अपने शहर के रास्ते पर ‘गुरु हथौड़ा हाथ लिए’ पत्थर तोड़ती हुई औरत देखी. सभ्यता की वह राह देखी जहां से ‘जनता को पोथियों में बांधे हुए ऋषि-मुनि’ आराम से गुज़र गए. चुपके से प्रेम करने वाला ‘बम्हन लड़का’ और उसकी ‘कहारिन’ प्रेमिका देखी.