वीडियो: भारतीय उपमहाद्वीप में रेडियो के इतिहास को इतिहासकार और कोलंबिया यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर इज़ाबेल वाकुहा एलोंसो ने 'रेडियो फॉर द मिलियंस: हिंदी-उर्दू ब्रॉडकास्टिंग अक्रॉस बॉर्डर' किताब में दर्ज किया है. उनसे इस किताब, आज़ादी से पहले और बाद की प्रसार नीतियों और उन पर श्रोताओं की प्रतिक्रियाओं को लेकर बातचीत.
घटना पीजीआई चंडीगढ़ के नर्सिंग कॉलेज हॉस्टल की है, जहां अप्रैल के अंतिम रविवार को प्रसारित हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो प्रोग्राम 'मन की बात' के सौवें एपिसोड के कार्यक्रम में मौजूद न रही 36 छात्राओं को सज़ा के तौर पर हफ्तेभर तक हॉस्टल से बाहर न निकलने का आदेश दिया गया है.
बताया जाता है कि सोवियत यूनियन में आप स्टालिन की आवाज़ से बच नहीं सकते थे. सड़कों पर लाउडस्पीकरों से स्टालिन की आवाज़ आपका पीछा करती रहती थी. हिटलर ने आत्मप्रचार के लिए रेडियो का कैसा इस्तेमाल किया, यह जानी हुई बात है. भारत भी अब हिटलर और स्टालिन के रास्ते चल रहा है.
जसदेव सिंह को हमने जाना एक स्वर के रूप में जिसने लगभग आधी सदी तक आज़ादी और गणतंत्र दिवस का आंखों देखा हाल सुनाया, कभी लाल किले तो कभी इंडिया गेट के नज़ारे दिखाए. हमने उस आवाज़ के साथ क्रिकेट बाॅल के पीछे दौड़ लगाई, लपक लिया, पिच के उछाल को महसूस किया, ओलंपिक की मशाल की लौ की आंच से गर्मा गए.
विभिन्न खेलों और गणतंत्र दिवस समारोह का आंखों-देखा हाल रेडियो के ज़रिये आम जनता तक पहुंचाने वाले जसदेव सिंह लंबे समय से अल्ज़ाइमर बीमारी से पीड़ित थे.
सोशल मीडिया पर फ़र्ज़ी ख़बरों के प्रसार के बारे में सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया कोई ख़तरा नहीं है. अगर वहां कोई ग़लत कंटेंट है, तो लोगों के पास उसे सही करने की ताक़त है.
तीन अक्टूबर को विविध भारती की स्थापना के 61 बरस पूरे हो गए. इतने बरस की विविध भारती की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि उसने हमारी ज़िंदगी को सुरीला बनाया है.