प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 अप्रैल को महाराष्ट्र के वर्धा में एक रैली को संबोधित करते हुए कथित रूप से कहा था कि विपक्षी दल लोकसभा की उन सीटों से अपने नेताओं को खड़ा करने से डरता है जहां बहुसंख्यकों का प्रभुत्व है.
चुनाव आयोग के फुल कमीशन में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्रा हैं. एक चुनावी रैली में मोदी के संबोधन को लेकर कांग्रेस की पहली शिकायत चुनाव आयोग को पांच अप्रैल को मिली थी.
लोकसभा चुनाव 2019 से जुड़ीं सभी महत्वपूर्ण ख़बरें.
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राजस्थान के जालोर में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि यह देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करने का चुनाव है. यह देश के शहीदों का बदला लेने का चुनाव है. यह आतंकियों को एक सबक सिखाने का चुनाव है.
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क़ब्र संबंधी बयान पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज होने समेत दिनभर की महत्वपूर्ण ख़बरों का अपडेट.
लोकसभा चुनाव से जुड़ी महत्वपूर्ण ख़बरें.
टिकट नहीं मिलने से नाराज़ उदित राज के कांग्रेस में शामिल होने समेत दिनभर की महत्वपूर्ण ख़बरों का अपडेट.
उत्तर-पश्चिम दिल्ली लोकसभा सीट से टिकट नहीं मिलने से नाराज़ उदित राज ने भाजपा छोड़ दी है. उनकी जगह गायक हंसराज हंस को इस सीट से टिकट दिया गया है.
चुनाव आयोग ने कहा है कि अहमदाबाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिनी रोड शो की जांच की जा रही है. अपना वोट डालने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने एक खुली जीप की सवारी की, सड़क पर चले और यहां तक कि एक छोटा भाषण भी दिया.
राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा दोनों ही लोकसभा चुनावों में अच्छे प्रदर्शन के बढ़-चढ़कर दावे कर रहे हैं. कांग्रेस 20 से अधिक सीटों पर तो भाजपा सभी 29 सीटों पर जीत मिलने का दावा कर रही है, लेकिन दोनों के दावे हक़ीक़त से कोसों दूर हैं.
कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने एक संप्रदाय विशेष को लेकर विवादित बयान दिया था, जबकि हिमाचल प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया था.
‘मैं भी चौकीदार’ और ‘चौकीदार ही चोर है’ के शोर में अनेक दूसरे मुद्दे हाशिये पर चले गए हैं.
वन अधिकार क़ानून 2006 के तहत ख़ारिज दावा-पत्रों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने आदिवासियों को जंगल से बेदख़ल करने का आदेश दिया था, जिस पर बाद में रोक लगा दी गई. पर दावा-पत्र खारिज क्यों हुए? केंद्र सरकार ने अदालत से कहा कि दावा-पत्र सही से नहीं भरे गए, जबकि हक़ीक़त यह है कि सरकारों की मिलीभगत से इन्हें ख़ारिज किया गया है ताकि जंगलों में खनिज संपदा के दोहन के लिए लीज़ देने में किसी तरह की परेशानी