नई याचिका में दलील दी गई है कि संसद राज्य की भूमि का अधिग्रहण करने के लिए क़ानून बनाने में सक्षम नहीं है. राज्य की सीमा के भीतर धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन के लिए क़ानून बनाने का अधिकार राज्य विधानमंडल के पास है.
मीडिया बोल की 77वीं कड़ी में उर्मिलेश संघ-भाजपा के मंदिर-मस्जिद, चुनाव और 'ट्विटर डेमोक्रेसी' पर वरिष्ठ पत्रकार क़ुर्बान अली, सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा बांगर और वरिष्ठ पत्रकार शैलेश से चर्चा कर रहे हैं.
बीते 29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए जनवरी में तारीख तय की जाएगी और मामले को उचित पीठ के पास भेजा जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में दायर अपीलों को जनवरी, 2019 में एक उचित पीठ के सामने सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने ‘मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग है या नहीं’ के बारे में शीर्ष अदालत के 1994 के फैसले को फिर से विचार के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजने से इनकार कर दिया.
भाजपा नेता राम मंदिर विवाद का भरपूर दोहन कर सत्ता या संवैधानिक पदों पर जा पहुंचे हैं. लेकिन अब मंदिर निर्माण के लिए ‘अपनों’ का लगातार बढ़ता दबाव नहीं झेल पा रहे हैं. अब उन्हें अचानक संविधान, क़ानून और अदालत की मर्यादा की फ़िक्र हो आई है.
राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य राम विलास वेदान्ती ने कहा है कि राम मंदिर के निर्माण के लिए अदालत का इंतज़ार नहीं किया जाएगा और 2019 चुनाव से पहले मंदिर का निर्माण होगा,
अयोध्या के संबंध में श्रीश्री का यह दावा करना कि अगर अदालत हिंदुत्ववादियों की मांग को ख़ारिज करता है तो हिंदू हिंसा पर उतर आएंगे, इसके ज़रिये वह न केवल क़ानून के राज को चुनौती दे रहे थे बल्कि संवैधानिक सिद्धांतों पर भी सवाल खड़ा कर रहे थे.
बीते शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के शिया वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी ने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का विरोध करने वाले मुस्लिमों को पाकिस्तान या बांग्लादेश चले जाना चाहिए.
बयान पर भड़के शिया धर्मगुरुओं ने कहा कि वक़्फ़ बोर्ड प्रमुख को सांप्रदायिकता फैलाने के आरोप में गिरफ़्तार कर जेल में डाल देना चाहिए.
आप कांग्रेस और भाजपा को कोस सकते हैं, लेकिन संघ परिवार को क्या कहेंगे जिसने धर्म और समाज के लिए लज्जा का यह काला दिन आने दिया?
भूमंडलीकरण की बाज़ारोन्मुख आंधी में कट्टरता और सांप्रदायिकता अयोध्या के बाज़ार की अभिन्न अंग बनीं तो अभी तक बनी ही हुई हैं.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद सबसे पहले वर्ष 1949 में अदालत की चौखट पर पहुंचा था.
माहौल का असर है या कुछ और कि श्री श्री रविशंकर को अयोध्या में कोई भी गंभीरता से नहीें ले रहा. लेकिन श्री श्री का सौभाग्य कि वे मीडिया की भरपूर सुर्ख़ियां बटोर रहे हैं.
1929 में गोरखपुर में जन्मे महंत भास्कर दास निर्मोही अखाड़े के साथ ही अयोध्या के हनुमान गढ़ी मंदिर के भी महंत थे.