साल 2009 में अनुसूचित जाति की नाबालिग लड़की से हुए बलात्कार के आरोप में निचली अदालत ने एक बुज़ुर्ग को दोषी ठहराया था. इस व्यक्ति ने इस फ़ैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए यह कहा कि उसने सहमति से यौन संबंध बनाए थे.
आंकड़ों के अनुसार पिछले साल सितंबर के बाद महिलाओं के ख़िलाफ़ हुए विभिन्न अपराधों की सर्वाधिक शिकायतें इस साल जून में दर्ज की गईं. इससे पहले लॉकडाउन में घरेलू हिंसा और प्रताड़ना के मामले बढ़ने की बात सामने आई थी, जिसे केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने ग़लत बताया था.
उत्तर प्रदेश में बांदा ज़िले के तिंदवारी थाना क्षेत्र में एक घटना 27 जून की रात की है, जबकि चित्रकूट ज़िले के भरतकूप क्षेत्र में हुई दूसरी घटना 20 जून की है, इस मामले में 27 जून को केस दर्ज कराया गया.
कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस कृष्ण एस. दीक्षित ने बलात्कार के एक आरोपी की अग्रिम ज़मानत मंज़ूर करते हुए शिकायतकर्ता को लेकर कई ऐसी टिप्पणियां की हैं, जो उनके चरित्र पर सवाल खड़ा करती हैं.
एक नाबालिग समेत झारखंड की तीन युवतियों को कथित तौर पर राजस्थान में बेचे जाने और उनके साथ बलात्कार का मामला सामने आया है. लॉकडाउन में घर लौट रहे प्रवासी मज़दूरों के समूह के बीच अपने अपहर्ताओं से छिपते-छिपाते कई दिनों तक पैदल चलने के बाद हाल ही में इन्हें उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में पुलिस ने बचाया.
घटना लुधियाना के माधोपुरी इलाके की है, जहां एक व्यक्ति ने नशे में अपनी नाबालिग बेटी से बलात्कार का प्रयास किया था, जिसके बाद उसकी पत्नी ने बेटे के साथ मिलकर ये क़दम उठाया. 2014 में यह व्यक्ति अपनी एक और बेटी से रेप की कोशिश के आरोप में जेल जा चुका था. उस बेटी ने कुछ समय बाद आत्महत्या कर ली थी.
यह घटना गुजरात के महिसागर की है. आरोप है कि 16 मई को खेत में कचरा डालने गई दलित नाबालिग लड़की से उन्हीं के गांव के चार युवकों ने गैंगरेप किया.
यह मामला बिलासपुर का है. पुलिस ने आरोपी पुलिसकर्मी के खिलाफ मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है.
घटना बैतूल ज़िले की है. पीड़िता अपने भाई के साथ मोटरसाइकिल से घर लौट रही थी कि जब सात लोगों ने उनका रास्ता रोक लिया. पीड़िता के भाई को एक कुएं में फेंककर उन्होंने पास के जंगल ले जाकर युवती के साथ बलात्कार किया.
मामला बिहार के गया का है, जो सात अप्रैल को सामने आया. पीड़िता की सास का आरोप है कि आइसोलेशन वार्ड में पीड़िता की देखरेख करने वाले स्वास्थ्यकर्मी ने दो और तीन अप्रैल की रात को पीड़िता से बलात्कार किया. पीड़िता की छह अप्रैल को मौत हो गई थी.
कोरोना संकट के दौरान देश-विदेश से महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ती घरेलू हिंसा की ख़बरें आ रही हैं. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच घर में बंद रहने के अलावा कोई चारा भी नहीं है. लेकिन अफ़सोस कि टीवी पर आ रहे निर्देशों में पारिवारिक हिंसा पर जागरूकता के संदेश नदारद हैं. महिलाओं पर पड़े कामकाज के बोझ को भी चुटकुलों में तब्दील किया जा चुका है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि हिंसा महज़ रणक्षेत्र तक ही सीमित नहीं है और कई महिलाओं व लड़कियों के लिए सबसे ज़्यादा ख़तरा तब होता है जब उन्हें अपने घरों में सबसे सुरक्षित होना चाहिए.
राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के 69, विवाहित महिलाओं की प्रताड़ना के 15, दहेज की वजह से हत्या के दो और बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के 13 मामले दर्ज हुए हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि वैश्विक संगठन सभी देशों से मौत की सज़ा का इस्तेमाल बंद करने या इस पर प्रतिबंध लगाने की अपील करता है.
निर्भया के दोषियों ने फांसी से कुछ ही घंटों पहले गुरुवार देर रात दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया था. अदालत ने याचिकांए ख़ारिज कर दी थीं.