केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि ऐसी घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण होती हैं, पर इन्हें कभी रोका नहीं जा सकता है.
वर्तमान समाज को सहानुभूति की नहीं, समानुभूति की ज़रूरत है. आज नीति बनाने वालों में ही 'समानुभूति' का तत्व खत्म हो चुका है. नीति बनाते समय उन्हें आंकड़े चाहिए होते हैं, एहसास नहीं.