क्या यूपी चुनाव की दिशा बदली है और सपा गठबंधन की हवा बन गई है?

वीडियो: द वायर की चुनावी यात्रा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के रूझान को समझने के लिए राज्य की राजधानी लखनऊ पहुंची. लखनऊ के लोग इस विधानसभा चुनावों में किस पर भरोसा जता रहे हैं और उनके चुनावी मुद्दे क्या हैं, सीनियर एडिटर आरफ़ा खानम शेरवानी ने जानने की कोशिश की.

किसानों ने ठान लिया है कि भाजपा को हराना है: जयंत चौधरी

वीडियो: राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) प्रमुख जयंत चौधरी का कहना है कि उत्तर प्रदेश में रोज़गार मांगने पर युवाओं को पीटा गया. दिल्ली की गाज़ीपुर सीमा पर किसानों का अपमान किया गया. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर जयंत चौधरी से द वायर की आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव का ‘मैं आ रहा हूं’ कैंपेन शुरू, भाजपा में हलचल

वीडियो: उत्तर प्रदेश के चुनाव नज़दीक आते ही राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ने लगी हैं. जहां एक तरफ़ भाजपा जनता को बता रही है कि अगर अखिलेश यादव वापस आए तो गुंडाराज वापस आ जाएगा तो वहीं अखिलेश यादव ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के ओपी राजभर से हाथ मिलाकर एक नया पासा फेंका है. उत्तर प्रदेश के चुनावी हालात के पर वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे अखिलेश यादव

2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करते समय विधान परिषद एमएलसी के सदस्य रहे सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने अपने इस निर्णय के पीछे का कोई कारण नहीं बताया है. हालांकि उन्होंने ये ज़रूर कहा कि उनके चुनाव लड़ने पर अंतिम फैसला पार्टी करेगी.

यूपी ब्लॉक प्रमुख चुनाव: हिंसा, हत्या, पत्रकार व पुलिस की पिटाई के बीच भाजपा का भव्य जीत का दावा

उत्तर प्रदेश में शनिवार को पंचायत ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव के दौरान के कम से कम 18 ज़िलों से हिंसा की सूचना मिली. इटावा में पथराव और गोलीबारी हुई, जहां से सामने आए एक वीडियो में पुलिसकर्मी भाजपा सदस्यों द्वारा उनसे मारपीट और बम लाने की बात कहते सुनाई दिए. साथ ही एक पत्रकार ने उन्नाव में चुनाव की रिपोर्टिंग के दौरान मुख्य विकास अधिकारी और भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा उन्हें पीटने की बात कही है.

यूपी: ज़िला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के नतीजे पर जश्न महज़ भाजपा की खुशफ़हमी है

उत्तर प्रदेश के ज़िला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में तिकड़म, धनबल, दबाव आदि के सहारे मिली जीत को जिस तरह 'जनता-जर्नादन का आशीर्वाद' और 'जनविश्वास की जीत' बताया जा रहा है, उससे लगता है कि हमें लोकतंत्र के लिए नई परिभाषा ढूंढना शुरू कर देना चाहिए.

उत्तर प्रदेश: ज़िला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में भाजपा की जीत का हासिल क्या है

ज़िला पंचायत चुनाव में मिली विजय पर फूली न समा रही भाजपा भूल रही है कि ज़िला पंचायत अध्यक्षों के अप्रत्यक्ष चुनाव में जीत किसी भी अन्य अप्रत्यक्ष चुनावों की तरह किसी पार्टी की ज़मीनी पकड़ या लोकप्रियता का पैमाना नहीं होती. कई बार तो संबंधित पार्टी को इससे मनोवैज्ञानिक बढ़त तक नहीं मिल पाती.

उत्तर प्रदेश: 22 ज़िला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित, 21 उम्मीदवार भाजपा के

राज्य के बाकी 53 ज़िलों में आगामी तीन जुलाई को मतदान होगा. उसी मतगणना शुरू होगी. उत्तर प्रदेश के इन ज़िलों में उम्मीदवारों की जीत विपक्ष के आरोपों के बीच हुई है कि भाजपा सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर रही है. वहीं, सपा पर अनुचित साधनों का प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए भगवा पार्टी ने पलटवार किया है.

जयंत चौधरी राष्ट्रीय लोक दल के नए अध्यक्ष चुने गए

राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष और जंयत चौधरी के पिता अजित चौधरी का बीते छह मई को कोविड-19 से निधन हो गया था. पार्टी के बयान में कहा गया कि जयंत चौधरी को पार्टी का अध्यक्ष चुने जाने का फैसला पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की ऑनलाइन आयोजित बैठक में लिया गया. जयंत चौधरी अभी तक पार्टी के उपाध्यक्ष थे.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह का कोविड-19 संक्रमण से निधन

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे अजित सिंह ने भारत लौटने और राजनीति में शामिल होने के लिए कंप्यूटर उद्योग छोड़ दिया था. बागपत से सात बार सांसद रहे अजित सिंह ने 1980 में सक्रिय राजनीति में क़दम रखा और 1986 में राज्यसभा के रास्ते पहली बार संसद पहुंचे थे. ​विभिन्न सरकारों में वह कई मंत्रालय संभाल चुके थे.

मुज़फ़्फ़रनगर दंगा: चुनावों की भेंट चढ़ती नैतिकता

मुज़फ़्फ़रनगर दंगों पर राजनीतिक रोटियां सबने सेंक लीं पर दंगा पीड़ितों को न्याय नहीं मिला. जो लोग तब सरकार चला रहे थे वे कहते हैं कि दंगे नहीं रोक सकते थे. तो अब सवाल यह है कि इस बार उन्हें क्यों चुना जाए?

बसपा के साथ कम सीटों पर समझौता करना चुनाव से पहले ही सपा की हार जैसा है

2019 के लोकसभा चुनाव में सपा अपनी स्थापना के बाद से सबसे कम सीटों पर लड़ेगी. एक तरह से वह बिना लड़े करीब 60 प्रतिशत सीटें हार गई है. सपा का बसपा से कम सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो जाना हैरान करता है.

राजस्थान में तीसरा मोर्चा इस बार भी सुर्ख़ियों से आगे बढ़ता हुआ दिखाई क्यों नहीं दे रहा

ग्राउंड रिपोर्ट: सूबे में कांग्रेस व भाजपा को टक्कर देने के लिए हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने घनश्याम तिवाड़ी, सपा और रालोद के साथ चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान किया है. यह गठजोड़ सुर्ख़ियां तो खूब बटोर रहा है, लेकिन इसकी सफलता पर संशय बरक़रार है.

क्या 2019 में विपक्ष एकजुट होकर मोदी को रोक पाएगा?

आम तौर पर उपचुनाव या स्थानीय चुनाव परिणाम को प्रधानमंत्री से जोड़कर नहीं देखा जाता, लेकिन जब प्रधानमंत्री हर छोटे-बड़े चुनाव में पार्टी का स्टार प्रचारक बन जाएं तो ऐसे में हार को उनकी छवि और गिरती साख से अलग कर पाना मुश्किल हो जाता है.