प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की एक लंबी बैठक के बाद आलोक वर्मा को गुरुवार को सीबीआई निदेशक पद से हटा दिया गया.
अक्टूबर 2018 में छुट्टी पर भेजे जाने से पहले आलोक वर्मा राफेल सौदे से लेकर स्टर्लिंग बायोटेक जैसे कई हाई-प्रोफाइल मामले देख रहे थे. इनमें से एक मामला ऐसा है जिसमें प्रधानमंत्री के सचिव आरोपी हैं.
बीते 20 दिसंबर को गृह मंत्रालय ने आदेश जारी कर दिल्ली पुलिस कमिश्नर, सीबीडीटी, डीआरआई, ईडी, रॉ, एनआई जैसी 10 एजेंसियों को देश में चलने वाले सभी कंप्यूटर की निगरानी करने का अधिकार दिया.
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर लगे आरोपों को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में सीवीसी द्वारा कोर्ट को दी गई जांच रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को सौंप दिया और उनसे इस पर जवाब मांगा है. अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी.
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर लगे आरोपों पर अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सोमवार को सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की. हालांकि मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर आपत्ति जताई कि अगर रविवार दोपहर तक रजिस्ट्री खुली हुई थी तो जांच रिपोर्ट सौंपने में देरी क्यों हुई.
सीबीआई विवाद: रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज एके पटनायक की निगरानी में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा ये जांच की जाएगी.
देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी के दो वरिष्ठतम अधिकारियों- आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद सीबीआई ने जारी किया बयान.
सीबीआई विवाद: गुरुवार सुबह छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के घर के बाहर से चार आईबी अधिकारी पकड़े गए थे. आरोप है कि ये लोग वर्मा की जासूसी कर रहे थे.
आरोप है कि खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ये चारों शख्स सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के घर के बाहर जासूसी कर रहे थे.
सरकार का कहना है कि सीवीसी की सिफारिश के आधार पर आलोक वर्मा को हटाया गया है. हालांकि कानून के मुताबिक सीवीसी तब तक ऐसी सिफारिश नहीं कर सकती है जब तक की अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप दर्ज न किए गए हों.
सीबीआई विवाद: सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर है. इनका आरोप है कि राकेश अस्थाना को बचाने और राफेल सौदे की जांच से बचने के लिए सरकार ने ऐसा क़दम उठाया.
सीबीआई विवाद: वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण का कहना है कि सीबीआई नवनियुक्त अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव के ख़िलाफ़ गंभीर शिकायतें हैं. निदेशक आलोक वर्मा ने उन्हें सीबीआई से हटाने के लिए और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की सिफ़ारिश की थी.
सीबीआई के डिप्टी एसपी एके बस्सी का अंडमान व निकोबार के पोर्ट ब्लेयर में तबादला कर दिया गया है. वहीं एडिशनल एसपी एसएस गम का तबादला कर सीबीआई जबलपुर भेज दिया गया है.
सीबीआई मुख्यालय स्थित निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के दफ़्तरों को सील किया गया. संयुक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त किया गया.
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के भीतर हो रही जूतमपैजार भ्रष्टाचार के बदनुमा चेहरे को सामने लाने के साथ राजनीतिक नेतृत्व के शीर्ष स्तर पर सवाल खड़े करती है.