इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक 17 वर्षीय मुस्लिम लड़के की याचिका को ख़ारिज कर दी जिसमें आपराधिक मुकदमे से संरक्षण की मांग की थी. यह मुक़दमा उनकी 19 वर्षीय हिंदू लिव-इन पार्टनर के परिवार द्वारा दायर किया गया था. कोर्ट ने कहा कि 18 साल से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को बच्चा माना जाता है और कोई बच्चा लिव-इन रिलेशनशिप में नहीं रह सकता.
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि न का मतलब न है, फिर बेशक शुरुआत में हामी क्यों न रही हो. सहमति नहीं होना पूर्व में दी गई सहमति को ख़त्म कर देता है. जबरन यौन संबंध असहमति से बने संबंध कहलाएंगे, जो आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) के तहत दंडात्मक है.
एक महिला के चार साल की बेटी की कस्टडी मांगने पर पति द्वारा उनके चरित्र पर सवाल उठाने पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि पितृसत्तात्मक समाज में किसी महिला के चरित्र पर आक्षेप लगाना सामान्य बात है. आमतौर पर ऐसे आरोपों का कोई आधार नहीं होता. महिला के विवाहेतर संबंध हों भी तो यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि वह अच्छी मां नहीं होगी.