मध्य प्रदेश और ओडिशा के धर्मांतरण विरोधी क़ानूनों में कहीं भी अंतर-धार्मिक विवाह का ज़िक्र नहीं था और न ही सुप्रीम कोर्ट ने उस पर कोई टिप्पणी की थी. ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार का ऐसा कोई अधिकार नहीं बनता कि वो बिना किसी प्रमाण या तर्क के अंतर-धार्मिक विवाहों को क़ानून-व्यवस्था से जोड़ दे.
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ज़िले के कसया क़स्बे का मामला. युवक ने पुलिस पर पीटने का आरोप लगाया है. यह भी आरोप है कि पुलिस ने युवक-युवती को तब तक हिरासत में रखा, जब तक कि युवती के भाई ने प्रमाण देते हुए ये नहीं बताया दिया कि दोनों जन्म से मुस्लिम हैं और धर्मांतरण नहीं हुआ है.
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद ज़िले के कांठ कस्बे का मामला. प्रदेश में बीते 28 नवंबर को धर्मांतरण विरोध क़ानून लागू होने के बाद ऐसे कई केस दर्ज किए गए हैं. तीन दिसंबर को अलीगढ़ शहर में अंतर धार्मिक विवाह के लिए रजिस्ट्रेशन कराने जा रहे एक मुस्लिम युवक को गिरफ्तार किया गया था.
मामला उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का है. आरोप है कि युवक ने अपनी पहचान छिपाकर पंजाब के मोहाली शहर की एक नाबालिग लड़की से दोस्ती की और विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी का रजिस्ट्रेशन कराने अलीगढ़ आया हुआ था. इस दौरान कुछ अराजक तत्वों ने युवक की पिटाई भी की थी.
उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले में नए धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत एक मुस्लिम युवक के ख़िलाफ़ 28 नवंबर को पहला मामला दर्ज कराया गया था. लड़की के परिवार पर दबाव डालकर केस दर्ज कराने के आरोप से पुलिस ने इनकार किया है.
पुलिस के अनुसार, हिंदू युवा वाहिनी के कुछ सदस्यों ने शादी को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी. नए धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत अंतर धार्मिक विवाह के लिए ज़िला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है. इसकी जानकारी युवक-युवती के परिवारों को दे दी गई है, उन्होंने मंज़ूरी मिलने के बाद शादी करने पर सहमति जताई है.
इससे पहले बीते 11 नवंबर के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फ़ैसले में कहा था कि अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ जीने का अधिकार जीवन एवं व्यक्तिगत आज़ादी के मौलिक अधिकार का महत्वपूर्ण हिस्सा है. कोर्ट ने कहा कि इसमें धर्म आड़े नहीं आना सकता है.
असम सरकार में मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने दावा किया कि यह क़ानून ‘लव जिहाद’ के ख़िलाफ़ नहीं है, लेकिन मध्य प्रदेश में प्रस्तावित और उत्तर प्रदेश में पास क़ानून के समान ही होगा. शर्मा ने कहा कि इस क़ानून में सभी धर्म शामिल होंगे और यह पारदर्शिता लाकर हमारी बहनों को सशक्त बनाएगा.
कर्नाटक में 'मोरल पुलिस' का काम करने से लेकर उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में दंगे भड़काने तक, 'लव जिहाद' का राग छेड़कर हिंदू दक्षिणपंथियों ने अपने कई उद्देश्य पूरे किए हैं.
त्रिपुरा के गोमती ज़िले के उदयपुर में हिंदू जागरण मंच के सदस्यों ने प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग-8 को जाम कर दिया था. संगठन का कहना है कि पुलिस और प्रशासन जबरन धर्म परिवर्तन के ख़तरे को रोकने में विफल रहे हैं और अब केवल क़ानून ही आवश्यक सुरक्षा उपाय प्रदान कर सकता है.
इस अध्यादेश में विवाह के लिए छल-कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष कारावास और 50 हज़ार रुपये जुर्माने की सज़ा का प्रावधान किया गया है. मध्य प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश दूसरा भाजपा शासित राज्य है, जहां इस संबंध में क़ानून बनाया गया है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020’ को मंज़ूरी दी गई. मध्य प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश दूसरा ऐसा राज्य है, जहां लव जिहाद को लेकर इस तरह का क़ानून लाया गया है.
उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में कुछ दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया था कि मुस्लिम युवा धर्म परिवर्तन के लिए हिंदू लड़कियों से शादी से कर रहे हैं. इसके लिए उन्हें विदेश से फंड मिल रहा है और लड़कियों से उन्होंने अपनी पहचान छिपा रखी है. इसकी जांच के लिए कानपुर रेंज के आईजी ने एसआईटी का गठन किया था.
जहां एक तरफ कई भाजपा शासित राज्यों की सरकारें 'लव जिहाद' के ख़िलाफ़ अध्यादेश लाने की पूरी तैयारी कर चुकी हैं, वहीं विपक्ष ने सरकारों के इस तरह का क़ानून बनाने को व्यक्तिगत स्वतंत्रता में दख़ल और देश में सांप्रदायिक खाई गहरी करने का प्रयास क़रार दिया है.
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि विधानसभा के अगले सत्र में ‘लव जिहाद’ के ख़िलाफ़ विधेयक पेश होगा, जिसमें 'लव जिहाद' को ग़ैर ज़मानती अपराध घोषित करते हुए मुख्य आरोपी और उसका साथ देने वालों को पांच साल के कठोर कारावास की सज़ा का प्रावधान किया जाएगा.