आस्था अनुष्ठान में बदल रही है; धर्म का अज्ञान तेज़ी से बढ़ रहा है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंदी अंचल में साहित्य का धर्मों से संवाद लगभग समाप्त हो गया है. इस विसंवादिता ने साहित्य को उस बड़े सामाजिक यथार्थ से विमुख कर दिया जो अपने विकराल राजनीतिक विद्रूप में, बेहद हिंसक और क्रूर ढंग से हमें आक्रांत कर रहा है.

पुस्तक अंश: हिंदू धर्म एकीकृत संप्रदाय नहीं, भिन्न पंथों का समूह है

पुस्तक अंश: हिंदू धर्म विभिन्न विचारों को आत्मसात करता आया है. कई मान्यताएं और प्रथाएं अपने प्राचीन रूप में हैं और उनके स्रोतों का पता लगाना कठिन है. धर्म का यह स्वरूप पूजा के विधि-विधानों के बजाय दार्शनिक स्तर पर अधिक पाया जा सकता है. असहमति की अधिकांश परंपराएं विविधता को पोषित करती रही हैं.

अयोध्या आज एक कुरु-सभा बन गई है जिसके मंच पर भारतीय सभ्यता का चीरहरण हो रहा है

अयोध्या की सभा असत्य और अधर्म की नींव पर निर्मित हुई है, क्योंकि जिसे इसके दरबारीगण सत्य की विजय कहते हैं, वह दरअसल छल और बल से उपजी है. अदालत के निर्णय का हवाला देते हुए ये दरबारी भूल जाते हैं कि इसी अदालत ने छह दिसंबर के अयोध्या-कांड को अपराध क़रार दिया था.

संविधान दिवस विशेष: संविधान की प्रस्तावना से ‘धर्मनिरपेक्ष’ हटाने की मांग असंगत

संविधान की प्रस्‍तावना से 'धर्मनिरपेक्ष' तथा 'समाजवाद' शब्‍दों को हटाए जाने की मांग लोकतंत्र और संविधान के लिए ख़तरे की सूचक है. शब्‍दों में बदलाव के बजाय हमारी मानसिकता में बदलाव की मांग होनी चाहिए.

क्या नया हिंदू पूरी तरह धर्म-विहीन हो चुका है?

इस नए हिंदू अधिकार के सहारे कोई हिंदू किसी मुसलमान से किसी भी विषय में पूछताछ कर सकता है. उसे ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाने को बाध्य कर सकता है, किसी मुसलमान का टिफ़िन खोलकर देख सकता है, उसके फ्रिज की जांच कर सकता है, उसकी नमाज़ को बाधित कर सकता है.

भारत की नई राजनीतिक संस्कृति में ज्ञान के बजाय अज्ञान का महिमामंडन हो रहा है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: पहले के निज़ामों में कमोबेश संस्कृति की स्वतंत्रता और गरिमा का एहतराम और आदर दोनो ही थे: वर्तमान निज़ाम ने संस्कृति को राजनीति की दासी और अधिक से अधिक उसे सत्ता के महिमामंडन और शोभा की चीज़ बना दिया है.

भारतीय समाज में हिंसा के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: पांचेक दशक पहले गुंडई को अनैतिक माना जाता था और समाज में उसकी स्वीकृति नहीं थी. आज हम जिस मुक़ाम पर हैं उसमें गुंडई को लगभग वैध माना जाने लगा है- उस पर न तो ज़्यादातर राजनीतिक दल आपत्ति करते हैं, न ही मीडिया.

यूपी: क्या ‘ठोंक दो’ सिद्धांत वाली सरकार के राज में आमजन अपराधों से ज़्यादा सुरक्षित हुआ है?

योगी सरकार के सात सालों में उत्तर प्रदेश में अपराध उन्मूलन के अनेक बड़बोले दावों के बावजूद ऐसी पुलिस 'मुठभेड़ों' की ज़रूरत ख़त्म नहीं हो रही जहां भागने की कथित कोशिश में अभियुक्त मार गिराया जा रहा है. या पुलिस जिसे ज़िंदा गिरफ़्तार करना चाहती है, गोली उसके पांव में लगती है अन्यथा...

बांग्लादेश से गुज़रते हुए: क़िस्त चार

बांग्लादेश के मूल्यों और संस्कृति के लिए घरेलू सांप्रदायिकता की अपेक्षा भारत में होने वाली मुसलमान विरोधी बयानबाज़ी और राजनीति ज़्यादा घातक है. भारत में मुसलमानों पर किए जा रहे व्यक्तिगत या संगठित अत्याचार हों, या अयोध्या और 'लव जिहाद' से संबंधित अदालती फैसले, इन सबका घातक प्रभाव बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्षता पर होता है.

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के एलएलबी कोर्स में पढ़ाई जाएगी मनुस्मृति: रिपोर्ट

दिल्ली स्थित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय को भारतीय न्यायशास्त्र पर केंद्रित एलएलबी कार्यक्रम शुरू करने की अनुमति मिली है, जिसके पाठ्यक्रम में मनुस्मृति के चुनिंदा हिस्से को पढ़ाया जाएगा.

वक़्फ़ संशोधन विधेयक संविधान का उल्लंघन है

वक़्फ़ एक विशेष मुस्लिम क्षेत्र है क्योंकि यह सदियों से मुस्लिम संपत्तियों के दान से उपजा है, लेकिन मोदी सरकार इसे पचा नहीं पाई. वक़्फ़ संशोधन विधेयक के ज़रिये इस सरकार का मुस्लिम विरोधी चेहरा एक बार फिर सामने आया है.

स्वतंत्रता एक बार मिल गई स्थिति नहीं है; उसे लगातार समृद्ध करना और बचाना होता है

कभी कभार | अशोक वाजपेयी: स्वतंत्रता के अर्थ में बदलते परिवेश और समय के अनुसार कई और अर्थ जुड़ते रहे. अगर आज विचार करें तो लगेगा कि इस समय का अर्थ प्रमुख रूप से यह है कि हम झूठ-नफ़रत-हिंसा की मानसिकता और राजनीति की ग़ुलामी करने से मुक्त रहें.

मुंबई: कॉलेज में हिजाब बैन पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- क्या लड़कियों को तय नहीं करना चाहिए उन्हें क्या पहनना है

सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के एक कॉलेज द्वारा जारी किए गए उस सर्कुलर पर रोक लगा दी, जिसमें कॉलेज परिसर में हिजाब, नकाब, बुर्का, टोपी और इसी तरह के अन्य परिधान पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया था. कोर्ट ने कहा कि ड्रेस कोड लागू करके महिलाओं को सशक्त कैसे बनाया जा सकता है.

मॉल में लोगों के पहनावे के आधार पर भेदभाव किए जाने पर कार्रवाई होगी: बेंगलुरु महानगर पालिका

बीते 16 जुलाई को बेंगलुरु के एक मॉल में धोती पहने किसान को प्रवेश से रोक दिया गया था. अब बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका ने दिशानिर्देश तय किए हैं कि कोई मॉल, वाणिज्यिक परिसर आदि पारंपरिक पहनावे, भाषा, जाति, धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा अन्यथा उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी.

बाल विवाह निषेध क़ानून सभी के लिए लागू है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने एक नाबालिग मुस्लिम लड़की की बाल विवाह के ख़िलाफ़ दर्ज मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति पहले भारत का नागरिक है, उसके बाद ही उसका धर्म आता है. इसलिए बाल विवाह निषेध क़ानून सभी धर्मों पर लागू होता है.

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