लेखकों के वैश्विक संगठन पेन इंटरनेशल ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति को सौंपी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में तमाम लेखकों, पत्रकारों, शिक्षाविदों और सरकार के अन्य आलोचकों की मनमाने ढंग से गिरफ़्तारियां करके उनका क़ानूनी उत्पीड़न किया जा रहा है और बिना मुक़दमों के लंबे समय तक हिरासत में रखा जा रहा है.
वीडियो: क्या सरकार हमारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा सकती है? क्या सरकार हमसे अपने भाषण का अधिकार, लिखने का अधिकार, छीन सकती है? इस वीडियो में सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल समझा रही हैं कि अनुच्छेद 19 2 में वो कौन से कारण हैं, जिसके आधार पर सरकार अभिव्यक्ति के अधिकार को सीमित कर सकती है.
वीडियो: हमारा संविधान की इस कड़ी में अधिवक्ता अवनि बंसल संविधान के अनुच्छेद 19 में शामिल प्रेस की स्वतंत्रता और असहमति के अधिकार के बारे में जानकारी दे रही हैं. असहमति का अधिकार भी अभिव्यक्ति के अधिकार का अभिन्न अंग है. इसलिए सभी नागरिकों को ये अधिकार है कि वो सरकार की नीतियों पर अपनी बात खुलकर कह सके और उसे लोगों तक पहुंचा सके.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि यदि कोई पार्टी सत्ता में आ जाती है तो वो आलोचनाओं से परे नहीं रह सकती है. असहमति का अधिकार ऐसी आलोचनाओं की इजाज़त देता है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि प्रतिरोध के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत सुरक्षा प्रदान की गई है और सरकार के क़ानून व्यवस्था की आलोचना करना कोई अपराध नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने अहमदाबाद में एक कार्यक्रम में कहा कि हमें हमेशा सवाल करते रहना चाहिए तभी समाज का विकास होगा.
भाजपा के संस्थापक ने विरोधियों को एंटी-नेशनल कहने पर आपत्ति जताई है, जो मोदी-शाह की रणनीति और अभियान का प्रमुख तत्व रहा है. ऐसा ही कुछ लालकृष्ण आडवाणी ने 1970 के दशक के मध्य में आपातकाल के समय जेल में बंद होने के दौरान भी लिखा था.