जदयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने बताया कि किशोर की नियुक्ति से पार्टी को अपना जनाधार व्यापक बनाने में मदद मिलेगी.
प्रशांत किशोर 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा, 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान राजद, जदयू और कांग्रेस महागठबंधन की ओर से प्रचार कर चुके हैं.
राजद उपाध्यक्ष और अपनी मां राबड़ी देवी के पटना स्थित आवास पर पार्टी नेताओं की बैठक से तेज प्रताप के अनुपस्थित रहने पर सत्ताधारी जदयू और भाजपा ने दावा किया था कि लालू परिवार के भीतर अंतर्कलह चल रही है.
बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट पर भाकपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले कन्हैया कुमार राजद, कांग्रेस, हम पार्टी, रांकपा, शरद यादव की लोकतांत्रिक जनता दल और अन्य वामदलों के महागठबंधन के उम्मीदवार होंगे.
ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार की नीतीश कुमार सरकार पटना के गर्दनीबाग में 268 एकड़ ज़मीन पर मंत्रियों, जजों और सरकारी अफ़सरों के लिए एक हज़ार से ज़्यादा आवास बनाने जा रही है.
सर्वेक्षण: पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज़ के तत्वावधान में क़ानून की पढ़ाई कर रहे छात्रों द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.
तेजस्वी ने कहा कि नीतीश की महागठबंधन में जरूरत नहीं. राजद, कांग्रेस और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा मिलकर भाजपा और जदयू को धूल चटाने मेें सक्षम हैं.
नीतीश कुमार के लालू प्रसाद यादव को फोन करने के बाद महागठबंधन में उनकी वापसी की अटकलों को ख़ारिज करते हुए बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अगर मान भी लें कि हम फिर गठबंधन के लिए राज़ी होते हैं तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वे कुछ समय बाद हमें धोखा नहीं देंगे.
बिहार में इन दिनों घट रहीं सियासी घटनाएं बता रही हैं कि भाजपा और जदयू के बीच 2013 के पहले जैसा तालमेल था, वैसा अब नहीं रहा और इस बार भाजपा-जदयू गठबंधन की उम्र भी बहुत लंबी नहीं रहने वाली है.
गया जिले के कोच में 20 लुटेरों के दल ने एक डॉक्टर के परिवार को रास्ते में रोककर उनकी पत्नी और बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार किया.
राजद प्रमुख लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप ने यह बात एक ट्वीट में कही, जिसे पारिवारिक कलह के तौर पर देखा गया. बाद में तेज प्रताप ने सफाई देते हुए छोटे भाई तेजस्वी यादव को कलेजे का टुकड़ा बताया.
15 राज्यों में लोकसभा की 27 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं. इन 27 में से 16 सीटों पर राजग का क़ब्ज़ा था लेकिन उपचुनावों के बाद इसमें से 9 सीटों पर भाजपा और उनके सहयोगी दलों को हार मिली है, जबकि सात सीट बचाए रखने में वो कामयाब रहे हैं.
चुनाव परिणाम से साफ़ है कि बिहार के अल्पसंख्यक भाजपा के तेवर और उसके नेताओं के नफ़रत से भरे बयानों से बेहद नाराज़ हैं और उससे भी ज़्यादा नाराज़गी नीतीश कुमार की चुप्पी को लेकर है.
चार लोकसभा और 11 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे भाजपा के लिए सुखद नहीं रहे. विपक्ष ने 11 सीटें जीती, भाजपा और उसके सहयोगी तीन सीटों तक ही सीमित.
वरिष्ठ नेता शरद यादव ने कहा कि आपातकाल से लेकर अब तक, जब-जब देश में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक हालात आज की तरह नाज़ुक हुए, तब-तब विपक्षी दलों ने एकजुट होकर फिरकापरस्त ताक़तों को मुंहतोड़ जवाब दिया.