जातीय हिंसा के कारण म्यांमार से भागने को मजबूर हुए रोहिंग्या शरणार्थियों द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि फेसबुक अपने प्लेटफॉर्म पर उनके ख़िलाफ़ हेट स्पीच पर कार्रवाई करने में विफल रहा है, जिससे उनके साथ हिंसा होने का ख़तरा मंडराता रहता है.
एक दूसरे के संबंधी इन दो रोहिंग्या परिवारों के 10 व्यक्तियों को 2014 में बिना वैध दस्तावेजों के देश में प्रवेश करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था और तब से वे असम की तेजपुर केंद्रीय जेल में बंद हैं.
अमेरिका और ब्रिटेन में रह रहे कई रोहिंग्या शरणार्थियों ने फेसबुक पर उनके ख़िलाफ़ हेट स्पीच फैलाने के आरोप में मुक़दमा दायर किया है. कैलिफोर्निया में दायर शिकायत में कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कंटेंट की निगरानी में कंपनी के असफल रहने से हिंसा हुई, जिसका रोहिंग्या समुदाय ने सामना किया.
दुनिया ने रोहिंग्याओं के ख़िलाफ़ सहानुभूति में इतनी कंजूसी दिखाई है कि सहानुभूति की कोई भी अपील ईश्वर की आवाज़ की तरह सुनाई देती है.