‘हम चाहते हैं कि जब तक म्यांमार के हालात सुधर नहीं जाते, तब तक हमें यहां रहने दिया जाए’

अप्रैल 2018 में दिल्ली के कालिंदी कुंज इलाके में बसे रोहिंग्या कैंप में आग लग गई थी, जिससे 25 परिवारों के करीब 250 रोहिंग्या शरणार्थी बेघर हो गए थे. इसके बाद उन्हें दूसरी जगह पर बसाया गया, लेकिन भारत में नागरिकता को लेकर चल रही बहस के बीच वे अमानवीय परिस्थितियों में चुपचाप ज़िंदगी गुज़ारने को मजबूर हैं.

कैंप जलने के एक साल बाद दिल्ली में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों का क्या है हाल?

वीडियो: दिल्ली के कालिंदी कुंज इलाके में बसे रोहिंग्या मुसलमानों के कैंप में पिछले साल 15 अप्रैल को आग लग गई थी. इस घटना के एक साल बाद भी वे अमानवीय जीवन जीने के लिए मजबूर हैं. अभी भी सरकार की ओर से उनके लिए स्थायी तौर पर रहने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

रोहिंग्या बस्ती में आग: मिनटों में उजड़ गईं सैकड़ों ज़िंदगियां

रविवार सुबह दिल्ली के कालिंदी कुंज इलाके के पास बनी रोहिंग्या शरणार्थियों की बस्ती में आग लग गई थी, जिससे यहां सात साल से रह रहे क़रीब 250 रोहिंग्या शरणार्थी बेघर हो गए.

हम भी भारत, एपिसोड 05: रोहिंग्या शरणार्थी और भारत

हम भी भारत की पांचवीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी रोहिंग्या शरणार्थी संकट पर म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि रह चुके विजय नांबियार और आॅब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के वरिष्ठ फेलो मनोज जोशी से चर्चा कर रही हैं.

केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा, रोहिंग्या शरणार्थी देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा

केंद्र ने कहा, ग़ैरक़ानूनी शरणार्थी देश के किसी भी हिस्से में रहने के अधिकार के लिए उच्चतम न्यायालय का सहारा नहीं ले सकते.

भारत सरकार से अनुरोध है कि वह हमें वापस म्यांमार न भेजे: रोहिंग्या शरणार्थी

राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग और मदनपुर खादर में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थी अपने देश म्यांमार भेजे जाने के नाम पर डरे हुए हैं.