बीते दस सालों में पूरे ही माहौल में बराबरी और न्याय की आवाज़ बहुत पीछे चली गई है. बराबरी की दिशा बनाने वाले आरक्षण को ही संदिग्ध बनाने की हवा बह रही है. ऐसे में उच्च शिक्षा के संस्थानों में जातीय भेदभाव और उत्पीड़न को मिटाए बिना समानता हासिल नहीं हो सकती.
कथित संस्थागत जातिगत भेदभाव के कारण रोहित वेमुला और पायल तड़वी की आत्महत्या को लेकर उनकी माताओं द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर यूजीसी ने इस मामले को देखने के लिए 9 सदस्यीय समिति का गठन किया था. हालांकि समिति के सदस्यों के पास भेदभाव से निपटने का कोई ट्रैक रिकॉर्ड नहीं है, लेकिन वे भाजपा से निकटता रखते हैं.
जस्टिस रूपनवाल के नेतृत्व में बनी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पूर्व एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी और श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्रवाई को प्रभावित नहीं किया.
रजनी कृष की संदिग्ध मौत के बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बुलाई प्रेसवार्ता, कहा बंद हो संस्थानिक हत्याओं का खेल
जेएनयू के शोधार्थी मुथुकृष्णनन जीवानंदम उर्फ रजनी कृष की मौत के मामले में पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज कर लिया है.
गुंटूर कलेक्टर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पिछले साल आत्महत्या करने वाले रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला दलित नहीं थे.