राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध पत्रिका द ऑर्गनाइज़र ने अपने हालिया अंक की कवर स्टोरी में ई-कॉमर्स दिग्गज अमेज़ॉन पर भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में धर्मांतरण के लिए फंडिंग मुहैया करने का आरोप लगाया है. कंपनी ने इन आरोपों का खंडन किया है.
अगर महज़ दो फीसदी बाज़ार हिस्सेदारी वाले अमेज़ॉन को ईस्ट इंडिया कंपनी 2.0 कहा जा सकता है, तो फिर केंद्र सरकार को क्या कहा जाए जो एक तरफ सरकारी एकाधिकार रहे जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन और लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन की बिक्री के लिए विदेशी पूंजी को दावत दे रही है, दूसरी तरफ ऊर्जा और रेलवे जैसे रणनीतिक क्षेत्र में थोक भाव से निजीकरण को बढ़ावा दे रही है?
आरएसएस से जुड़ी ‘पाञ्चजन्य’ पत्रिका ने अपने लेख में कहा है कि अमेज़ॉन पर ई-मार्केट प्लेटफॉर्म पर क़ब्ज़ा करने के लिए शेल कंपनियां बनाने, नीतियों को अपने पक्ष में करने के लिए रिश्वत देने और प्राइम वीडियो के माध्यम से भारतीय संस्कृति के विरोध में कार्यक्रमों को प्रसारित करने का आरोप है. इससे पहले पत्रिका ने भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस पर निशाना साधते हुए कहा था कि कंपनी 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' के साथ काम कर रही है.