सड़क से संसद: तमाम सरकारों का मानना है कि नक्सलियों को सेना से नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन पश्चिम बंगाल के झारग्राम के जंगलमहल ने इसे गलत साबित किया है. यहां शिक्षा सभी चुनावी मुद्दों पर भारी है.
सड़क से संसद: पश्चिम बंगाल के झारग्राम में संथाली सिनेमा की सुपरस्टार रहीं बीरबाहा हंसदा से बातचीत. बीरबाहा अब राजनीति में हैं. उनका कहना है कि बड़े राजनीतिक दल संथाली लोगों के अलावा दूसरे आदिवासी समूहों और उनके मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया.
सड़क से संसद: पश्चिम बंगाल की आदिवासी बहुल झारग्राम लोकसभा सीट पर बहुत सारे आदिवासी संगठन संसद में अपना प्रतिनिधि चाहते हैं, ताकि वे अपनी आवाज़ मज़बूती के साथ रख सकें.
लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र कश्मीर में मतदान, पीडीपी और भाजपा के बीच हुए गठबंधन पर जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
सड़क से संसद में मणिपुर की यात्रा के दौरान वहां के इतिहास, भूगोल और संस्कृति की झलक.
सड़क से संसद में हम राजस्थान के रास्ते गुजरात पहुंच चुके हैं, जहां हम चलेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मस्थान मेहसाणा ज़िले में. गुजरात के इस ज़िले को आधिकारिक तौर पर खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित कर दिया गया है, लेकिन जब हम यहां के वड़नगर शहर पहुंचे, तो यहां के रहवासियों ने 'स्वच्छ भारत' की एक अलग ही कहानी सुनाई.
सड़क से संसद की इस कड़ी में हम अलवर लोकसभा क्षेत्र में पहुंचे हैं. कलाकंद के लिए मशहूर अलवर हालिया सालों में यहां गोरक्षा के नाम पर हुई मॉब लिंचिंग की घटनाओं के लिए सुर्ख़ियों में रहा.
सड़क से संसद की इस कड़ी में कहानी नूह गांव के मेव मुसलमानों की. नीति आयोग द्वारा जारी देश के सबसे पिछड़े 101 ज़िलों की सूची में यह हिस्सा भी आता है. यहां के रहवासी ग़रीबी, शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं की कमी के साथ सांप्रदायिकता से भी लड़ रहे हैं. वर्तमान सत्ता से नाराज़ ये लोग उम्मीद करते हैं कि इस बार क्षेत्र से आम चुनाव में खड़े हो रहे उम्मीदवार उनके मुद्दों को गंभीरता से उठाएंगे.
द वायर की वीडियो सीरीज़ 'सड़क से संसद- मेरा वोट मेरी बात' की इस कड़ी में पूर्वी दिल्ली के गाज़ीपुर से वहां के लोगों की कहानी.