लगातार हो रही मौतों के बावजूद केंद्रीय बजट में मैनुअल स्कैवेंजिंग का ज़िक्र नहीं

सफाई कर्मचारी आंदोलन के आंकड़ों के अनुसार, पिछले छह महीनों में 43 मैनुअल स्कैवेंजरों की मौत हुई है. संगठन के राष्ट्रीय संयोजक बेजवाड़ा विल्सन ने
उनके लिए बजट में आवंटित धनराशि को 'बहुत कम' बताते हुए कहा कि सफाईकर्मियों की भलाई सरकार की प्राथमिकता में नहीं है. 

मृत सफ़ाईकर्मियों के परिवारों ने पूछा- सरकार का मौतों का आंकड़ा कम कैसे?’

वीडियो: सरकार के अनुसार, जुलाई 2023 तक देशभर में सीवरों और सेप्टिक टैंकों की में सफ़ाई 9 मौतें हुई हैं, लेकिन सफाई कर्मचारी आंदोलन के अनुसार इस अवधि में 58 मौतें हुईं. 28 अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर मृत कर्मचारियों के परिजनों ने न्याय की मांग उठाते हुए प्रदर्शन किया और सरकार के डेटा पर सवाल भी उठाया.

‘मैनहोल टू मशीनहोल’ का वित्त मंत्री का दावा शब्दों की कलाबाज़ी भर है: सफाई कर्मचारी आंदोलन

मैला ढोने की प्रथा को ख़त्म करने की दिशा में काम करने वाले संगठन ‘सफाई कर्मचारी आंदोलन’ की ओर से कहा गया है कि इस बार के बजट में सफाई कर्मचारियों की मुक्ति, पुनर्वास और कल्याण के लिए एक भी शब्द नहीं कहा गया और न ही इस मद में धन का आवंटन किया गया है. यह हमारे समाज के साथ धोखा है.

हाथ से मैला ढोने के कारण किसी की मृत्यु होने की रिपोर्ट नहीं: सरकार

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने राज्यसभा में बताया कि पिछले तीन साल के दौरान सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई करते समय हुईं दुर्घटनाओं के कारण 161 लोगों की मौत हो गई. सफाई कर्मचारी आंदोलन के संस्थापक बेजवाड़ा विल्सन ने कहा कि सरकार का हाथ से मैला उठाने वालों को नकारना कोई नई बात नहीं है.