मुग़लों और सिख नेताओं में संघर्ष हुआ, लेकिन सिखों ने इस तथ्य को आज मुसलमानों पर हिंसा की राजनीति के लिए इस्तेमाल करने से गुरेज़ किया है. आरएसएस और भाजपा को यह बात खलती रही है. वे सिखों को मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा में शामिल करना चाहते हैं. इसलिए वे गुरु गोविंद सिंह या गुरु तेग़ बहादुर को याद करते हैं. इरादा इन्हें याद करने का जितना नहीं, उतना इस बहाने मुग़लों की ‘क्रूरता’ की याद को ज़िंदा रखने का
केंद्र की मोदी सरकार की पहल पर 26 दिसंबर को सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह के बेटों ज़ोरावर सिंह और फतेह सिंह की शहादत के उपलक्ष्य ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया गया. तमाम सिख संगठनों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इस दिन को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाना महान शहादत को कमतर करने की एक दुर्भावनापूर्ण साज़िश है.