महाराष्ट्र: धर्म सभा में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ ‘नफ़रत भरे भाषण’ दिए गए, पुलिस से शिकायत

कार्यक्रम का आयोजन महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले में स्थित मुंब्रा में सकल हिंदू समाज की ओर से किया गया था. पुलिस को लिखे पत्र में संगठनों ने कहा है कि कार्यक्रम में कठोर दक्षिणपंथी विचारधारा का समर्थन करते हुए भड़काऊ भाषण दिए गए, जिसके माध्यम से वक्ताओं ने विशेष रूप से मुस्लिम नागरिकों को निशाना बनाया है.

मुंबई मेट्रो अथॉरिटी ने आरे कॉलोनी में ‘500 पेड़’ काटे, निवासियों में रोष

वीडियो: मुंबई की आरे कॉलोनी में बनने वाले मेट्रो कार शेड को लेकर मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने बीते 24 अप्रैल की सुबह तक़रीबन 500 पेड़ काट दिए. ये सारे पेड़ यहां के स्थानीय निवासियों ने लगाए थे. इस क़दम से इन लोगों में नाराज़गी है.

नफ़रत भरे भाषण दिए जा रहे हैं, क्योंकि सरकार समय पर कार्रवाई नहीं करती: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में केरल के एक पत्रकार ने अपनी याचिका में महाराष्ट्र पुलिस के ख़िलाफ़ अवमानना ​​कार्यवाही की मांग की है. उनका आरोप है कि अदालत के निर्देश के बावजूद कुछ हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा आयोजित रैलियों में भड़काऊ और नफ़रत भरे भाषणों को रोकने के लिए उसने कोई कार्रवाई नहीं की.

क्या महाराष्ट्र में नफ़रती ‘लव जिहाद’ विरोधी रैलियों का असल मक़सद राजनीतिक है?

वीडियो: महाराष्ट्र में नवंबर 2022 से नफरती रैलियों का एक दौर चला. ये रैलियां सकल हिंदू समाज के द्वारा आयोजित की जाती हैं और इस दौरान कथित लव जिहाद और धर्मांतरण जैसे मुद्दे उठाए जाते हैं. महाराष्ट्र के 36 ज़िलों में ऐसी तक़रीबन 100 से ज़्यादा रैलियां पिछले 5-5 महीनो में देखने मिली है.

मुंबई: आरे कॉलोनी में राम मंदिर के पास क़ब्रिस्तान का हिंदुत्ववादी समूहों ने विरोध किया

विहिप समेत कई कई हिंदुत्ववादी दक्षिणपंथी संगठनों की एकीकृत संस्था सकल हिंदू समाज की ओर से प्रदर्शन के दौरान कहा गया कि आरे कॉलोनी में स्थित राम मंदिर के पास एक क़ब्रिस्तान के निर्माण से हिंदू दुखी हैं.

कोर्ट के आदेश से बेपरवाह ‘निलंबित’ भाजपा विधायक का मुस्लिमों के ख़िलाफ़ फिर हिंसा का आह्वान

अपने विवादित बयानों के लिए पहचाने जाने वाले हैदराबाद से विधायक टी. राजा सिंह को बीते वर्ष भाजपा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित वीडियो जारी करने के चलते निलंबित कर दिया था. सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाने के चलते जेल में रहने के बाद उनके रिहाई आदेश में अदालत ने तीन मुख्य शर्तें लगाई थीं, जिनमें भड़काऊ भाषण न देने की भी बात थी.