वो बच्चा जो दीना में छूट गया, वो शायर जो दिल्ली में जवान हुआ…

पुस्तक अंश: गुलज़ार के गीतों और फिल्मों ने कई पीढ़ियों को संस्कार दिया है, हिंदी सिनेमा के भीतर शास्त्रीयता की संभावना को जीवित रखा है. यतीन्द्र मिश्र ने अपनी किताब में इस बेजोड़ कलाकार की आत्मा को बड़ी बारीकी से अंकित किया है.

ज्ञानपीठ ने साहित्य से फेर ली पीठ

ज्ञानपीठ पुरस्कार की 2023 के लिए की गई ताज़ा घोषणा में चर्चित अमृतकाल की अनुगूंज साफ़ सुनी जा सकती है. अकादमियां तो सरकार की छाया में काम करती हैं इसलिए जब-तब शायद विचलित हो जाएं, मगर साहित्य समुदाय में ज्ञानपीठ पुरस्कार की घोषणा ने बड़ी हलचल पैदा की है. सवाल उठने लगे हैं कि क्या ज्ञानपीठ ने समझौते का रास्ता चुन लिया है?

लेखक-गीतकार गुलज़ार और संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को मिला ज्ञानपीठ पुरस्कार

यह 1965 से भारतीय साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिवर्ष दिए जाने वाले ज्ञानपीठ पुरस्कार का 58वां संस्करण है. यह भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रदान किया जाता है, जिसकी स्थापना 1944 में हुई थी. यह पुरस्कार दूसरी बार संस्कृत के लिए और पांचवीं बार उर्दू के लिए दिया जा रहा है.