क्या बुद्धिजीवी वर्ग को पालतू बनाए रखने की सरकार की कोशिश या विश्वविद्यालयों में इंटेलिजेंस ब्यूरो को भेजने की उनकी हिमाक़त उसकी बढ़ती बदहवासी का सबूत है, या उसे यह एहसास हो गया है कि भारत एक व्यापक जनांदोलन की दहलीज़ पर बैठा है.
हरियाणा की अशोका यूनिवर्सिटी के शिक्षक सब्यसाची दास ने एक रिसर्च पेपर में 2019 के लोकसभा चुनाव में ‘हेरफेर’ की संभावना ज़ाहिर की थी, जिस पर विवाद के बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था. सोमवार को इंटेलिजेंस ब्यूरो के कर्मचारी उनसे बात करने के उद्देश्य से यूनिवर्सिटी पहुंचे थे.
अशोका यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के शिक्षक सब्यसाची दास ने एक रिसर्च पेपर में 2019 के लोकसभा चुनाव में ‘हेरफेर’ की संभावना ज़ाहिर की थी, जिस पर विवाद के बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया. अब अर्थशास्त्र विभाग ने कहा है कि इस पेपर पर विश्वविद्यालय की गवर्निंग बॉडी की प्रतिक्रिया संस्थागत उत्पीड़न है.
देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े 33 शिक्षाविदों और राजनीति विज्ञान के जानकार, जो एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकें तैयार करने की प्रक्रिया के विभिन्न स्तरों पर जुड़े रहे हैं, का कहना है कि परिषद द्वारा इन किताबों में किए गए बदलावों के बाद वे यह दावा नहीं कर सकते कि ये उनके द्वारा तैयार की गई किताबें हैं.
केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय ओवरसीज़ छात्रवृत्ति के दिशानिर्देशों में हाल ही में किए गए बदलावों पर असहमति जताई जा रही है. नए दिशानिर्देशों में वंचित या हाशिये के समुदायों के उन छात्रों को बाहर रखा गया है, जो विदेशों में जाकर भारतीय संस्कृति, विरासत, इतिहास और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों पर विदेशों में जाकर अध्ययन या शोध करना चाहते हैं.
'फ्री टू थिंक 2021' रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय अधिकारियों ने आतंकवाद विरोधी क़ानूनों के तहत शिक्षाविदों और छात्रों को ग़लत तरीके से हिरासत में लिया और उन पर मुक़दमा चलाया गया.