दिलचस्प है कि एक केंद्रीय मंत्री (अर्जुन राम मेघवाल), जो एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के लिए एक बुनियादी मानवधिकार, समलैंगिक सेक्स को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के ख़िलाफ़ थे, को ऐसे समय में क़ानून मंत्री बनाया गया है, जब सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह को वैध बनाने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है.
याचिका में कहा गया था कि धारा 376 सिर्फ महिलाओं को पीड़ित और पुरुषों को अपराध करने वाला मानती है. इसमें महिला द्वारा महिला पर गैर-सहमति से यौन हिंसा या फिर पुरुष द्वारा दूसरे पुरुष या फिर किसी ट्रांसजेंडर समुदाय के व्यक्ति द्वारा दूसरे ऐसे ही व्यक्ति पर या किसी पुरुष के साथ महिला द्वारा किए गए अपराध को शामिल नहीं किया गया है.