आईटी अधिनियम की निरस्त धारा 66ए के तहत किसी के ख़िलाफ़ मुक़दमा नहीं चलाया जा सकता: कोर्ट

सीजेआई उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्यों के पुलिस महानिदेशकों, गृह सचिवों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के सक्षम अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस बल को धारा 66ए के प्रावधानों के कथित उल्लंघन के मामले में कोई आपराधिक शिकायत दर्ज न करने दें.

रद्द किए जाने के बाद भी आईटी एक्ट की धारा 66ए का इस्तेमाल गंभीर चिंता का विषय: सुप्रीम कोर्ट

मार्च 2015 में आईटी एक्ट की धारा 66ए रद्द कर दी थी, जिसके तहत आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने पर तीन साल तक की क़ैद और जुर्माने का प्रावधान था. सुप्रीम कोर्ट पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ की उस याचिका को सुन रहा है, जिसमें बताया गया है कि अब भी राज्यों द्वारा इस धारा के तहत केस दर्ज किए जा रहे हैं.