लड़कियां अपनी मर्ज़ी से जीना चाहती हैं. अपनी मर्ज़ी से रिश्ते बनाना चाहती हैं. इसके लिए उन्हें भागना न पड़े अपने लोगों से, ऐसा समाज बनाने की ज़रूरत है. जब तक वह न बने, तब तक इन औरतों को अगर बचाया जाना है तो उनके परिवारों से, बाबू बजरंगी जैसे गुंडों से और बजरंग दल जैसे हिंसक संगठनों से. लेकिन अब इस सूची में जोड़ना पड़ेगा कि उन्हें राज्य से भी बचाने की ज़रूरत है.
समाचार चैनल सुदर्शन न्यूज़ के संपादक सुरेश चव्हाणके ने 18 नवंबर की सुबह रिसेप्शन पार्टी के आमंत्रण की एक तस्वीर ट्वीट की और हैशटैग ‘लव जिहाद’ और ‘आतंकवादी कृत्य’ का इस्तेमाल करते हुए इसे दिल्ली के महरौली में हुए श्रद्धा वालकर हत्याकांड से जोड़ दिया, जिसके बाद दक्षिणपंथी संगठनों ने इस आयोजन का विरोध किया था.
राष्ट्रीय राजधानी में श्रद्धा वाकर की उनके लिव-इन पार्टनर आफ़ताब पूनावाला द्वारा की गई निर्मम हत्या ने बहुत दर्द और गुस्सा पैदा किया है. पुलिस का कर्तव्य है कि वह सुनिश्चित करे कि आफ़ताब को इस नृशंस हत्या की सज़ा मिले. लेकिन आगे महिलाओं के प्रति हिंसा न हो, उसके लिए बतौर समाज हमें क्या करना चाहिए?