नैयरा नूर: सरहदों को घुलाती आवाज़

नैयरा नूर की पैदाइश हिंदुस्तान की थी, पर आख़िरी सांसे उन्होंने पाकिस्तान में लीं. वे इन दोनों मुल्कों की साझी विरासत की उन गिनी चुनी कड़ियों में थी, जिन्हें दोनों ही देश के संगीत प्रेमियों ने तहे-दिल से प्यार दिया.

किशोरी अमोणकर: सुर का कोई घराना नहीं होता…

जन्मदिन विशेष: हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन की कोई चर्चा किशोरी अमोणकर के बगैर अधूरी रहती है. संगीत उनके लिए महज़ पारंगत होने का माध्यम नहीं बल्कि साधना का विषय था.

कुमार गंधर्व की जीवन कथा संघर्ष और लालित्य की कथा है…

कुमार गंधर्व पर ध्रुव शुक्ल द्वारा लिखित 'वा घर सबसे न्यारा' संभवतः पहली ऐसी हिंदी किताब है जो उनके जीवन, गायकी, परंपरा और संपूर्ण व्यक्तित्व की बात एक जुदा अंदाज़ में करती है.

ग्वालियर घराना: ध्रुपद अनंत की साधना है और ख़याल समय से संसक्ति है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: ध्रुपद के उत्कर्ष के समय इतने तरह के संगीत नहीं थे जितने आज ख़याल की व्याप्ति के वक़्त हैं. ख़याल के ख़ुद को बचाने के संघर्ष की अनदेखी नहीं होनी चाहिए. जैसे आधुनिकता एक स्थायी क्रांति है और बाद के सभी परिवर्तन उसी में होते रहे हैं, वैसे ही ख़याल भी स्थायी क्रांति है.

नैयरा नूर: ग़म-ए-दुनिया से घबराकर, तुम्हें दिल ने पुकारा है

स्मृति शेष: नैयरा नूर ग़ालिब और मोमिन जैसे उस्ताद शायरों के कलाम के अलावा ख़ास तौर पर फ़ैज़ साहब और नासिर काज़मी जैसे शायरों की शायरी में जब 'सुकून' की बात करती हैं तो अंदाज़ा होता है कि वो महज़ गायिका नहीं थीं, बल्कि शायरी के मर्म को भी जानती-समझती थीं.

पंडित राजन मिश्र: सादगी, सरलता और सुरों का संगम…

स्मृति शेष: पंडित राजन मिश्र का असमय चले जाना सभी संगीत-प्रेमियों के लिए भारी आघात है. ख़ासकर, उनके अज़ीज़ों के लिए, जिन्होंने एक अद्भुत गायक के साथ-साथ एक अद्भुत इंसान भी खो दिया.