कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: अरुणा रॉय अथक स्वप्नदर्शी कर्मशील हैं. उन्होंने मौलिक नवाचार किया है पर वे जड़ों पर भी जमी रही हैं. उनके संस्मरण में ‘मैं’ बहुत सहजता से ‘हम’ में बदलता रहता है.
इस देश के गांवों में बसने वाले लोगों को साथ लेकर बदलाव की मुहिम शुरू करना और एक बदलाव को सामने ला देना एक बड़ी बात है. अरुणा रॉय ने यह कर दिखाया है.
गुजरात हाईकोर्ट ने 39 वर्षीय कार्यकर्ता कलीम सिद्दिक़ी के ख़िलाफ़ अहमदाबाद पुलिस की ओर से जारी तड़ीपार करने के आदेश को निरस्त कर दिया. सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों के संबंध में सिद्दीक़ी को अहमदाबाद, गांधीनगर, खेड़ा और मेहसाणा ज़िलों में एक साल की अवधि के लिए प्रवेश करने से प्रतिबंधित कर दिया था.
अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी चार सांसदों ने एक बयान जारी कर कहा कि अब बहुत हो चुका है, एनएसओ ग्रुप के सॉफ्टवेयर के दुरुपयोग के संबंध में हालिया खुलासे इस विश्वास को पुष्ट करते हैं कि इसे नियंत्रण में लाया जाना चाहिए.
जब सरकारें यह दिखावा करती हैं कि वे बड़े पैमाने पर हो रही ग़ैर क़ानूनी हैकिंग के बारे में कुछ नहीं जानती हैं, तब वे वास्तव में लोकतंत्र की हैकिंग कर रही होती हैं. इसे रोकने के लिए एक एंटीवायरस की सख़्त ज़रूरत होती है. हमें लगातार बोलते रहना होगा और अपनी आवाज़ सरकारों को सुनानी होगी.
वीडियो: द वायर ने बीते कुछ दिनों में अपनी विभिन्न रिपोर्ट के माध्यम से बताया है कि इज़रायल के पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये किस तरह पत्रकारों, नेताओं और सरकारी लोगों के फ़ोन नंबरों को निशाना बनाया गया. पेगासस स्पायवेयर आपके फ़ोन में कैसे भेजा जाता है और इससे कैसे बचा जा सकता है, ये जानकारी दे रहे हैं याक़ूत अली.
शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया है कि पेगासस का हमला आपातकाल से भी बड़ा है. जब कांग्रेस शासन के दौरान जासूसी के मामले सामने आए थे, तब भाजपा ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफ़े की मांग की थी. अब यह सत्ता में है, लेकिन संसद में इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार नहीं है.
पेगासस स्पायवेयर बनाने वाले इज़रायल के एनएसओ समूह के सह-संस्थापक शैलेव हुलियो ने पेगासस संबंधी जासूसी से जुड़े मानवाधिकार हनन के आरोपों पर कहा है कि वे हर आरोप की जांच कर रहे हैं और अगर इन्हें सच पाया गया, तो वे कड़ी कार्रवाई करेंगे.
इज़रायली स्पायवेयर पेगासस के ज़रिये राहुल गांधी समेत कई प्रमुख हस्तियों, पत्रकारों आदि की कथित तौर पर जासूसी किए जाने के मामले को लेकर कांग्रेस के अलावा अन्य दलों ने भी केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए स्वतंत्र जांच की मांग की है. सरकार ने अपने स्तर पर ख़ास लोगों पर निगरानी रखने संबंधी आरोपों को ख़ारिज किया है. भाजपा ने कहा कि पेगासस से पार्टी या सरकार को जोड़े जाने का एक भी साक्ष्य नहीं है. अमित
पत्रकारों, नेताओं और अन्य की जासूसी किए जाने की द वायर और 16 अन्य मीडिया सहयोगियों के खुलासे पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने कहा कि पत्रकार और मानवाधिकार रक्षक हमारे समाज में एक अनिवार्य भूमिका निभाते हैं और जब उन्हें चुप कराया जाता है, तो हम सभी पीड़ित होते हैं.
वीडियो: द वायर समेत 16 मीडिया संगठनों द्वारा की गई पड़ताल दिखाती है कि इज़रायल के एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर द्वारा स्वतंत्र पत्रकारों, स्तंभकारों, क्षेत्रीय मीडिया के साथ हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, द वायर, न्यूज़ 18, इंडिया टुडे, द पायनियर जैसे राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों को भी निशाना बनाया गया था. इस मुद्दे पर द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के अपार गुप्ता से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
पेगासस प्रोजेक्ट: 40 से ज़्यादा पत्रकारों, तीन प्रमुख विपक्षी नेताओं, नरेंद्र मोदी सरकार में दो पदासीन मंत्री, न्यायपालिका से जुड़े लोगों, कारोबारियों, सरकारी अधिकारियों, अधिकार कार्यकर्ताओं सहित 300 से अधिक भारतीयों की इज़राइल के एक सर्विलांस तकनीक से जासूसी कराने की ख़बरों को देश की हिंदी पट्टी के प्रमुख अख़बारों ने या तो छापा नहीं है या इस ख़बर को महत्व नहीं दिया है.
निगरानी के लिए संभावित निशाने पर 'कमेटी फॉर द रिलीज़ ऑफ पॉलिटिकल प्रिज़नर्स' भी थी, जिससे जुड़े शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं के फोन नंबर भी पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये हुए सर्विलांस वाले भारतीय फोन नंबरों की लीक हुई सूची में शामिल हैं.
द वायर समेत 16 मीडिया संगठनों द्वारा की गई पड़ताल दिखाती है कि इज़रायल के एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर द्वारा स्वतंत्र पत्रकारों, स्तंभकारों, क्षेत्रीय मीडिया के साथ हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, द वायर, न्यूज़ 18, इंडिया टुडे, द पायनियर जैसे राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों को भी निशाना बनाया गया था.
एक अंतरराष्ट्रीय साझा रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट ने यह दिखाया है कि भारत समेत दुनियाभर की कई सरकारें भयावहता की हद तक सर्विलांस के तरीकों का इस्तेमाल इस तरह से कर रही हैं, जिसका राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं है.