बिहार जाति सर्वेक्षण: क्या है कोईरी/कुशवाहा का इतिहास?

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने नई श्रृंखला शुरू की है. चौथा भाग कोईरी/कुशवाहा जाति के बारे में है.

बिहार जाति सर्वेक्षण: कैसे अस्तित्व में आई मडरिया जाति?

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने नई श्रृंखला शुरू की है. तीसरा भाग मडरिया जाति के बारे में है.

बिहार जाति सर्वेक्षण: क्या अतीत के संगतराश ही अब ‘संतराश’ हैं?

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने नई श्रृंखला शुरू की है. दूसरा भाग संतराश जाति के बारे में है. 

बिहार जाति सर्वेक्षण में उल्लिखित ‘घासी’ कौन हैं?

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने नई श्रृंखला शुरू की है. पहला भाग घासी जाति के बारे में है.

बिहार की जातिगत जनगणना का राजनीति पर क्या असर पड़ेगा?

वीडियो: बिहार की जातिगत जनगणना को लेकर राजनीतिक बहस बढ़ती जा रही है, इसका क्या असर पड़ेगा? इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार जावेद अंसारी से बातचीत.

‘बिहार जाति सर्वे के आंकड़े पूछेंगे कि धर्म के नाम पर जातियों को क्यों उनके हक़ से महरूम किया गया’

वीडियो: बिहार में जाति आधारित सर्वे की रिपोर्ट को लेकर राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

बिहार: जातिगत सर्वे के नतीजे जारी, कुल आबादी का 63 फीसदी हिस्सा ओबीसी

बिहार सरकार द्वारा जारी जाति-आधारित सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ से ज़्यादा है, जिसमें पिछड़ा वर्ग 27.13 फीसदी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 फीसदी और सामान्य वर्ग 15.52 फीसदी है.

जातिवार जनगणना किसे नागवार है?

जातिवार जनगणना के विरोधियों का आग्रह है कि यह विभाजक पहल है क्योंकि यह जातिगत अस्मिताओं को बढ़ावा देगी, समाज में द्वेष पैदा करेगी. यह तर्क सदियों पुराना है और स्वतंत्रता संग्राम के समय से सत्ता-समीप हलको ने इसका सहारा लिया है. यह कथित ‘उच्च’ जातियों का नज़रिया है, भले ही इस पर प्रगतिशीलता की चादर डाली जाए.

बिहार के जाति सर्वेक्षण पर बचाव में दिखी मोदी सरकार, सुप्रीम कोर्ट में बदला हलफ़नामा

केंद्र ने सोमवार देर शाम सुप्रीम कोर्ट में एक नया हलफ़नामा दायर किया है, जिसमें कहा गया कि पिछले हलफ़नामे में एक पैराग्राफ 'अनजाने में छूट गया' था. उक्त पैरा में लिखा था कि 'संविधान के तहत या अन्यथा कोई अन्य निकाय जनगणना या जनगणना के समान कोई कार्रवाई करने का अधिकार नहीं रखता है.'

सुप्रीम कोर्ट का बिहार की जातिगत जनगणना का डेटा जारी करने पर रोक लगाने से इनकार

बिहार की जातिगत जनगणना के लिए डेटा एकत्र करने की कार्रवाई 6 अगस्त को पूरी हो चुकी है. याचिकाकर्ताओं ने निजता के अधिकार का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि सार्वजनिक डोमेन में डेटा जारी या अपलोड करने पर रोक लगाई जाए. अदालत ने इससे इनकार कर दिया.

बिहार: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा जातिगत जनगणना पर लगाई गई रोक को हटाने से इनकार किया

बिहार सरकार के जाति आधारित सर्वेक्षण पर बीते चार मई को पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने 3 जुलाई को सुनवाई के लिए मुख्य याचिका को सूचीबद्ध किया है, अगर हाईकोर्ट ने उस दिन सुनवाई नहीं की तो यह अदालत 14 जुलाई को सुनवाई करेगी.

सुप्रीम कोर्ट के जज संजय करोल ने बिहार जाति जनगणना मामले की सुनवाई से ख़ुद को अलग किया

बीते 4 मई को पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को जाति आधारित सर्वेक्षण को तुरंत रोकने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि अंतिम आदेश पारित होने तक पहले से ही एकत्र किए गए आंकड़ों को किसी के साथ साझा न किया जाए. इस आदेश को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

जस्टिस रोहिणी आयोग के साथ 2011 के सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना का आंकड़ा साझा नहीं किया: सरकार

जस्टिस रोहिणी आयोग का गठन अक्टूबर 2017 में किया गया था. भारत के ओबीसी समुदाय की विभिन्न श्रेणियों का वर्गीकरण करने के लिए शुरू में इसे 12 सप्ताह का समय दिया गया था. 2017 से आयोग को कम से कम 14 बार विस्तार दिया गया है, जिनमें से नवीनतम विस्तार इस साल जनवरी में दिया गया था.