सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में रोजाना 3,000 टन से अधिक कचरे का निपटान नहीं हो पा रहा है. इससे लोगों के स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ सकता है और सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति खड़ी हो सकती है.
राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को लंबे समय के लिए टाला नहीं जा सकता. प्रदूषण मुक्त वातावरण प्रदान करना राज्य और स्थानीय निकायों की संवैधानिक ज़िम्मेदारी है. पश्चिम बंगाल सरकार सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं की स्थापना को प्राथमिकता देती नज़र नहीं आ रही है.