द लांसेट ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकारी ख़र्च जीडीपी का लगभग 1.2 प्रतिशत है, जबकि इस पर आम लोगों की अपनी जेब से लगने वाला ख़र्च अधिक है.
ऑक्सफैम की हालिया 'इनइक्वैलिटी रिपोर्ट 2021 इंडियाज इनइक्वल हेल्थकेयर स्टोरी' आने के बाद इसके सीईओ ने कहा कि भारत में सार्वजनिक सेवाओं की तुलना में निजी क्षेत्र को अधिक सहयोग देने से वंचितों को नुकसान पहुंचा है. 2004 से 2017 के बीच अस्पताल में भर्ती होने के मामले में औसत ख़र्च तीन गुना बढ़ा है, जिससे ग़रीबों और ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ी हैं.