लैंसेट के अध्ययन के अनुसार कोविड का मातृत्व मृत्यु और बाल मृत्यु दर पर गहरा प्रभाव पड़ेगा. इसके अनुसार भारत में छह महीनों में 3 लाख बच्चों की कुपोषण और बीमारियों से 14 हज़ार से अधिक महिलाओं की प्रसव पूर्व या इसके दौरान मृत्यु हो सकती है. हालांकि वित्तमंत्री द्वारा घोषित 20.97 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर पैकेज में कुपोषण और मातृत्व हक़ के लिए एक रुपये का भी आवंटन नहीं किया गया है.
झारखंड के लातेहार जिला प्रशासन ने यह कहते हुए मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि भूख से मौत को साबित करने के लिए पर्याप्त जानकारी नहीं है.
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र ने बीते बुधवार को अनुमान जताया था कि कोविड-19 महामारी के चलते इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 3.2 प्रतिशत की कमी आएगी. यह 1930 की महामंदी के बाद सबसे अधिक गिरावट होगी.
संयुक्त राष्ट्र के निकाय विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक ने कहा एक ओर हम कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं और दूसरी ओर भुखमरी की महामारी के मुहाने पर भी आ पहुंचे हैं. वहीं, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि जन सेवाओं की आपूर्ति में भेदभाव किया जा रहा है. नफरत फैलाने वाले वक्तव्य बढ़ गए हैं, संवेदनशील समूहों पर हमले बढ़े हैं.
घटना बिहार के भोजपुर ज़िले के आरा की है. मुसहर समुदाय से आने वाले आठ वर्षीय राकेश की मौत 26 मार्च को हो गई थी. उनकी मां का कहना है कि लॉकडाउन के चलते उनके पति का मजदूरी का काम बंद था, जिसके चलते 24 मार्च के बाद उनके घर खाना नहीं बना था.
सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भी खाद्य सब्सिडी के बजट को कम करके 108688.35 करोड़ रुपये कर दिया है. इसमें 80,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की कटौती की गई है.
झारखंड के सिमडेगा में साल 2017 में संतोषी नाम की 11 साल की एक बच्ची की भूख की वजह से मौत हो गई थी. इस बच्ची की मां और बहन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. परिवार का कहना है कि आधार से राशन कार्ड के लिंक नहीं होने की वजह से उनके परिवार को राशन नहीं दिया गया था.
2019 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत दुनिया के उन 45 देशों में शामिल है, जहां भुखमरी गंभीर स्तर पर है.सूची के अनुसार पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार इस मामले में भारत से बेहतर स्थिति में हैं.
परिवारवालों का कहना है कि पिछले तीन दिनों से घर में अन्न का एक दाना भी नहीं था, इसलिए भूख से बुजुर्ग की मौत हो गई. वहीं, प्रशासन ने भूख से मौत होने की बात से इनकार किया है.
मामला केरल के कोल्लम इलाके का है. पुलिस ने कहा कि मौत के वक्त महिला का वजन महज 20 किलोग्राम था. महिला के पति और सास को गिरफ़्तार कर लिया गया है.
सबसे ग़रीब तबकों में बाल मृत्यु दर और कुपोषण के स्तर को देखते हुए यह समझ लेना होगा कि लोक सेवाओं और अधिकारों के संरक्षण के बिना न तो ग़ैर-बराबरी ख़त्म की जा सकेगी, न ही भुखमरी, कुपोषण और बाल मृत्यु को सीमित करने के लक्ष्यों को हासिल किया जा सकेगा.
झारखंड के लातेहार ज़िले के आदिम जनजाति परिवारों को अन्त्योदय अन्न योजना और सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना का लाभ लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
बीते मंगलवार को लोकसभा में सरकार ने कहा कि किसी भी राज्य ने भूख से मौत की जानकारी नहीं दी है. कई मीडिया रिपोर्टों में भूख से मौत का दावा किया गया है लेकिन जांच में ये सही नहीं पाया गया.
झारखंड सरकार ने तो भुखमरी के मुद्दे से अपना मुंह ही फेर लिया है. उल्टा, जो लोग भुखमरी की स्थिति को उजागर कर रहे हैं, सरकार उनकी मंशा पर लगातार सवाल कर रही है.
दिल्ली के मंडावली में बीते जुलाई महीने में तीन बच्चियों की मौत हो गई थी. तीनों बच्चियां सगी बहनें थीं और विसरा रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि उन्हें कई दिनों से खाना नहीं मिला था. जांच के दौरान लड़कियों के शरीर में कोई ज़हर नहीं मिला.