12 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और जस्टिस राजेंद्र मेनन की पदोन्नति करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन 10 जनवरी को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना को पदोन्नत किया.
2017 में विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि आरक्षण विभागवार आधार पर दिया जाए न कि कुल सीटों के आधार पर. केंद्र द्वारा इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.
साल 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगने के एक दिन बाद राज्य में भड़के दंगों में अहमदाबाद के नरोदा पाटिया क्षेत्र में भीड़ ने 97 लोगों की हत्या कर दी. मारे गए ज़्यादातर लोग अल्पसंख्यक समुदाय के थे.
हैदराबाद के एक डॉक्टर की अलग रह रही पत्नी को 15,000 रुपये प्रति माह गुज़ारा-भत्ता देने के आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को पति ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
दिल्ली सरकार में श्रम एवं रोज़गार मंत्री गोपाल राय ने कहा कि यदि राज्य सरकार को सेवा मामले से संबंधित शक्तियां दी जाती हैं तो दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में रिक्त पदों पर तुरंत भर्तियां कर ली जाएंगी.
मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने कहा कि खनिकों के शव बुरी तरह क्षत-विक्षत न हो जाएं इसलिए अभियान रोका गया क्योंकि इसे जारी रखना नामुमकिन होता जा रहा है.
जांच एजेंसी के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज प्राथमिकी की जांच करने वाले एके बस्सी ने आरोप लगाया है कि वह जांच एजेंसी के अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव के शोषण का शिकार हैं.
1887 में ब्रिटिश राज द्वारा बनाए गए इंटेलीजेंस ब्यूरो को भारतीय क़ानून के तहत कोई अधिकार प्राप्त नहीं है. इसे आधिकारिक रूप से 'एक नागरिक संगठन बताया जाता है, जिसके पास पुलिस जैसी शक्तियां नहीं हैं.'
सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, ‘मैं दिल्ली में बसना नहीं चाहता. दिल्ली में रहना मुश्किल है.’
उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण फैसले और प्रस्ताव मुख्य न्यायाधीश द्वारा कॉलेजियम की सहमति दरकिनार करते हुए मनमाने और अनौपचारिक तरीके से लिए जा रहे हैं.
रफाल मामले में हालिया खुलासे के बाद पी चिदंबरम ने कहा, इस मामले की गहन जांच जेपीसी से होनी चाहिए. हम जेपीसी जांच की मांग दोहराते हैं.
साल 2007 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने रफाल की कीमत 643.26 करोड़ रुपये प्रति विमान तय की थी. साल 2015 में नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए सौदे के बाद यह राशि बढ़कर 1037.21 करोड़ रुपये प्रति विमान हो गई. पिछली सरकार में 126 विमानों का सौदा किया गया था वहीं मोदी सरकार ने इसे घटाकर 36 विमान कर दिया.
2007 में 126 विमानों को भारत के हिसाब से तैयार करने के लिए अलग से 1.4 बिलियन यूरो देने थे. 2016 में 36 विमानों को तैयार करने लिए 1.3 बिलियन यूरो दिए जाने का फ़ैसला होता है. आप गणित में फेल भी होंगे तब भी इस अंतर को समझ सकते हैं कि खेल कहां हुआ है.
टीआईएसएस की ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर बिहार में आश्रय गृहों पर मामले दर्ज किए गए हैं. रिपोर्ट में इन आश्रय गृहों के कुप्रबंधन और वहां रहने वाली महिलाओं के उत्पीड़न की बात सामने आई थी.
मुख्यमंत्री के बतौर नरेंद्र मोदी के 13 साल के कार्यकाल के दौरान हुईं अनसुलझी हत्याओं और मुठभेड़ों में हरेन पांड्या की हत्या कई मायनों में सबसे बड़ी पहेली है. इस मामले की दोबारा जांच किए जाने में जितनी देरी की जाएगी, इसके सुरागों के पूरी तरह से नष्ट हो जाने की संभावना बढ़ती जाएगी.