विशेष रिपोर्ट: सत्तारूढ़ दल जदयू और भाजपा अपनी चुनावी रैलियों में शौचालय निर्माण को बड़ी सफलता के रूप में प्रचारित कर रहे हैं. स्वच्छ भारत मिशन के आंकड़ों के मुताबिक़ बिहार के 1,374 गांवों में बने शौचालयों या ओडीएफ गांवों का एक बार भी सत्यापन नहीं हुआ है.
एक जुलाई, 2017 को स्वच्छता सेस को ख़त्म कर दिया गया था, लेकिन आरटीआई से मिली जानकारी बताती है कि जनता से अब भी यह सेस वसूला जा रहा है.
द वायर एक्सक्लूसिव: एक जुलाई, 2017 से स्वच्छ भारत सेस को खत्म कर दिया गया था. आरटीआई के जवाब में वित्त मंत्रालय ने बताया कि साल 2015 से लेकर अब तक स्वच्छ भारत सेस के तहत कुल 20,600 करोड़ रुपये वसूले गए हैं. हालांकि सरकार ने ये नहीं बताया कि टैक्स के रूप में वसूली गई यह राशि कहां ख़र्च की गई.