योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के भाजपा छोड़ सपा में जाने और फिर आरपीएन सिंह के कांग्रेस से भाजपा में आने के बाद उत्तर प्रदेश में कुशीनगर ज़िले के राजनीतिक समीकरण पूरी तरह उलट-पुलट गए हैं. आरपीएन के ज़रिये भाजपा मौर्य के राजनीतिक प्रभाव को काटने में लगी है तो सपा मौर्य के साथ अपने पार्टी के बड़े नेताओं के बीच संतुलन बिठाने में लगी है.
उत्तर प्रदेश भाजपा में विधानसभा चुनाव के सिलसिले में जो कुछ भी ‘अघटनीय’ घट रहा है, वह दरअसल उसके दो नायकों द्वारा प्रायोजित हिंदुत्व के दो अलग-अलग दिखने वाले रूपों का ही संघर्ष है. योगी आदित्यनाथ को अयोध्या से दूर किए जाने से साफ है कि अभी तक प्रदेश में योगी की आक्रामकता से मात खाता आ रहा मोदी प्रायोजित हिंदुत्व अब खुलकर खेलने की तैयारी कर रहा है.
वीडियो: उत्तर प्रदेश में भाजपा नेतृत्व वाली सरकार के कई मंत्रियों के विधानसभा चुनाव से पहले इस्तीफ़ा देने के मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ला, मनोज सिंह और द वायर के अजय आशीर्वाद के साथ आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
गुरुवार को खाद्य एवं औषधि प्रसाधन मंत्री धर्म सिंह सैनी समेत शिकोहाबाद विधायक डॉ. मुकेश वर्मा, बिधूना विधायक विनय शाक्य और धौरहरा विधायक बाला प्रसाद अवस्थी ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया है. इन सभी के समाजवादी पार्टी में जाने की बात कही जा रही है.
योगी सरकार में वन मंत्री और मऊ की मधुबन सीट से विधायक दारा सिंह चौहान ने कहा कि वे पिछड़ों, किसानों और बेरोज़गार युवाओं के प्रति सरकार की उपेक्षा के चलते इस्तीफ़ा दे रहे हैं. उधर, इससे पहले पार्टी छोड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य के ख़िलाफ़ सुल्तानपुर की एक अदालत ने सात साल पुराने मामले में गिरफ़्तारी का वॉरंट जारी किया है.
पिछले विधानसभा चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा के विधायक दल का नेता रहते हुए अचानक इस्तीफ़ा देकर भाजपा का दामन थामा था. अब उन्होंने पार्टी छोड़ते हुए कहा कि उन्होंने पांच साल तक पीड़ा में रहकर भाजपा में कठिन परिस्थितियों में काम किया. उनके इस्तीफ़े बाद बांदा के तिंदवारी से विधायक बृजेश प्रजापति और तिलहर विधायक रोशन लाल वर्मा ने भी भाजपा छोड़ दी है.
तीन तलाक़ को लेकर योगी के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या के विवादित बयान के एक दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण न किया जाए.