साल 2021 के दौरान स्विट्ज़रलैंड के बैंकों में भारतीयों कंपनियों और लोगों के धन में पचास फीसदी की वृद्धि देखी गई है और यह 14 साल के उच्चस्तर 3.83 अरब स्विस फ्रैंक (30,500 करोड़ रुपये से अधिक) पर पहुंच गया है. साल 2020 के अंत तक यह आंकड़ा 2.55 अरब स्विस फ्रैंक था.
बीते 10 वर्षों में स्विस बैंक में जमा की गई धनराशि और इसे वापस लाने के बारे में केंद्र सरकार से सवाल पूछा गया था, जिसके लिखित जवाब में वित्त राज्यंमत्री पंकज चौधरी ने यह बयान लोकसभा में दिया. इसके इतर वित्त मंत्रालय ने काले धन से निपटने के लिए लागू किए गए क़ानूनों की जानकारी दी और इस संबंध में देशों के साथ किए गए समझौतों के बारे में बताया.
आरटीआई के तहत वित्त मंत्रालय से स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीयों के खातों के बारे में मिली जानकारी का ब्योरा मांगा गया था. मंत्रालय से दूसरे देशों से काले धन के बारे में उसे मिली सूचना के बारे में भी जानकारी मांगी गई थी.
स्विट्जरलैंड सरकार ने 2015 में निष्क्रिय खातों के ब्योरे को सार्वजनिक करना शुरू किया था, जिसमें 10 खाते भारतीयों के हैं. स्विस प्राधिकरणों के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पिछले छह साल के दौरान इनमें से एक भी खाते पर किसी भारतीय ने सफलतापूर्वक दावा नहीं किया है.
स्विट्जरलैंड द्वारा साझा की गई सूचना में पहचान, खाता और वित्तीय जानकारी शामिल है. इनमें निवासी के देश, नाम, पते और कर पहचान नंबर के साथ वित्तीय संस्थान, खाते में शेष और पूंजीगत आय का ब्यौरा दिया गया है.
बैंक अधिकारियों ने कहा कि स्विट्जरलैंड की सरकार के निर्देश पर वहां के बैंकों ने डेटा इकट्ठा किया और भारत को सौंपा. इसमें हर उस खाते के लेन-देन का पूरा विवरण दिया गया है जो 2018 में एक भी दिन सक्रिय रहे हों.
प्रवर्तन निदेशालय के अनुरोध पर स्विटजरलैंड के अधिकारियों ने इन बैंकों के परिचालन पर रोक लगाई है. ईडी ने कहा कि दोनों ने भारत में बैंक धोखाधड़ी से अर्जित राशि इन बैंक खातों में जमा कराई है.
स्विट्जरलैंड के अधिकारियों ने मार्च से अब तक कम से कम 50 भारतीय खाताधारकों को नोटिस जारी कर उनकी सूचना भारत सरकार को देने से पहले उन्हें इसके ख़िलाफ़ अपील का एक अंतिम मौका दिया है.
स्विट्ज़रलैंड ने स्विस बैंक में कथित तौर पर काला धन रखने के मामले में 28 मई को भारतीय कारोबारी पोतलुरी राजा मोहन राव को नोटिस भेजा है और उन्हें अपील करने के लिए 10 दिन का समय दिया है. इससे पहले 14 अन्य लोगों के नाम उजागर किए जा चुके हैं.
स्विस नेशनल बैंक के हालिया जारी आंकड़ों के अनुसार, 2017 में स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि में 50% की वृद्धि हुई है. 2016 में जमा राशि में 44% की गिरावट आई थी. तब भारत का स्थान विश्व में 88वां था.
अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले भारतीय रुपया तेजी से कमज़ोर हो रहा है. इसके तमाम बाह्य कारण भी हैं लेकिन पिछले चार सालों के दौरान बेहतर परिस्थितियों का फ़ायदा न उठा पाने और हर बात के लिए पिछली सरकार के करे-धरे को ज़िम्मेदार ठहराने की प्रवृति के चलते अर्थव्यवस्था की हालत ख़राब हुई है.
स्विस बैंकों में भारतीयों के पैसों में 50 फीसदी की बढ़ोतरी पर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कटाक्ष करते हुए कहा है कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले जो धन ‘काला’ हुआ करता था वो 49 महीनों में ‘सफेद’ हो गया है.
भारतीयों की स्विस बैंकों में जमा रकम में 50 फीसदी की बढ़ोतरी पर मोदी सरकार ने सफाई दी है. जहां अरुण जेटली ने कहा है कि स्विस बैंकों में जमा सारे पैसे गैरक़ानूनी नहीं है, तो वहीं पीयूष गोयल ने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के समय में शुरू की गयी उदारीकृत रेमिटेंस (धन बाहर भेजने की) योजना से संभवत: भारतीयों की जमा में इजाफा हुआ है.
वीडियो: डॉलर के मुकाबले रुपये में आई ऐतिहासिक गिरावट और नोटबंदी के एक साल बाद स्विस बैंक में जमा भारतीयों के पैसे में 50 प्रतिशत के इज़ाफ़े पर द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु से अमित सिंह की बातचीत.
जन गण मन की बात की 267वीं कड़ी में विनोद दुआ स्विस बैंक में भारतीयों के बढ़ते धन, निकी हेली की भारत यात्रा और मगहर में मोदी के भाषण पर चर्चा कर रहे हैं.