सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर याचिकाओं में निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम जैसा तंत्र बनाने की मांग की गई है. पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाई कुरैशी ने इससे सहमति जताते हुए कहा कि यह मांग पिछले दो दशकों से उठाई जा रही है लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया.
मोहन भागवत ने किसी समुदाय का नाम लिए बिना देश में समुदायों के बीच जनसंख्या के बढ़ते असंतुलन पर चिंता जताई. संघ शुरू से इशारों में ही बात करता रहा है. इससे वह क़ानून से बचा रहता है. साथ ही संकेत भाषा के कारण बुद्धिजीवी भी उनके बचाव में कूद पड़ते हैं, जैसे अभी पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी कर रहे हैं.
वीडियो: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो दशकों में सभी धार्मिक समुदायों में मुसलमानों की जनसंख्या में सबसे तेज़ गिरावट देखी गई है. समुदाय की प्रजनन दर 2019-2021 में गिरकर 2.3 हो गई, जो 2015-16 में 2.6 थी. इस मुद्दे पर चुनाव आयोग के पूर्व प्रमुख एसवाई क़ुरैशी से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाई क़ुरैशी ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा कि दिन में रैली और रात में कर्फ्यू का कोई मतलब नहीं होता है. इससे संक्रमण नहीं रुकने वाला है. सरकार को चाहिए वह इन रैलियों पर रोक लगाए. चुनावों की घोषणा के बाद निर्वाचन आयोग को पहला काम इन रैलियों पर प्रतिबंध लगाने का करना चाहिए.
देश के पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाई क़ुरैशी ने अपनी नई किताब ‘द पॉपुलेशन मिथ: इस्लाम, फैमिली प्लानिंग एंड पॉलिटिक्स इन इंडिया’ में कहा है कि मुस्लिमों ने जनसंख्या के मामले में हिंदुओं से आगे निकलने के लिए कोई षड्यंत्र नहीं रचा है और उनकी संख्या देश में हिंदुओं की संख्या को कभी चुनौती नहीं दे सकती.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई क़ुरैशी ने कहा कि मतपत्र की ओर वापस लौटने का कोई सवाल नहीं है. ईवीएम प्रणाली समाप्त करने की बजाय, इन मशीनों में सुधार की संभावना तलाशी जानी चाहिए.
एसबीआई ने बताया कि मार्च 2018 से 24 जनवरी 2019 के बीच कुल 1,407.09 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे गए थे, जिसमें से 1,403.90 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड 10 लाख और एक करोड़ रुपये के थे.
सुप्रीम कोर्ट ने सभी दलों को निर्देश दिया है कि 30 मई तक वे चुनावी बॉन्ड की राशि और इसके दानकर्ताओं के नाम समेत सभी जानकारी सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को दें. अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में अंतिम फैसला विस्तृत सुनवाई के बाद लिया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड पर रोक लगाने की याचिका पर हो रही सुनवाई में मोदी सरकार ने बॉन्ड देने वालों की गोपनीयता को बनाए रखने की बात कही, वहीं चुनाव आयोग ने कहा कि पारदर्शिता के लिए दानकर्ताओं के नाम सार्वजनिक किए जाने चाहिए.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा कि पहले चुनाव आयोग को ये पता चलता था कि 20,000 रुपये से ऊपर का चंदा किसने और किस पार्टी को दिया है. लेकिन, इलेक्टोरल बॉन्ड की वजह से अब ये जानकारी पूरी नहीं मिलती है.
चुनाव आयोग को पारदर्शिता के हक़ में कदम में उठाते हुए मौजूदा व्यवस्था की तुलना में बूथों के ज्यादा बड़े सैंपल के वीवीपैट सत्यापन की मांग को स्वीकारना चाहिए.
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने सरकार के नियंत्रण से पूरी आज़ादी की मांग करते हुए दो अन्य चुनाव आयुक्तों को भी संवैधानिक संरक्षण देने और वित्तीय स्वंतत्रता की मांग रखी.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी द ग्रेट मार्च ऑफ डेमोक्रेसी: सेवेन डेकेड्स ऑफ इंडियाज इलेक्शंस की प्रस्तावन में कहा कि जितने भी चुनावी सुधार हुए हैं, वे सभी न्यायपालिका के हस्तक्षेप से हुए हैं.
चुनाव आयोग ने मतदान के दौरान वीवीपेट मशीनों में गड़बड़ी की शिकायतों की जांच के लिए दो समितियों का गठन किया था, जिनकी रिपोर्ट में कहा गया है कि अत्यधिक धूप में रखने से मशीनों के कॉंट्रास्ट और लैंथ सेंसर खराब हो गए थे.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी के मुताबिक ईवीएम में धांधली के आरोप पूरी तरह निराधार हैं. यदि इसमें छेड़छाड़ की गुंजाइश होती तो किसी सरकार की हार नहीं होती.