आरोग्य सेतु ऐप ने कितनों को दी कोरोना जांच की सलाह, सरकार के पास जानकारी नहीं

विशेष रिपोर्ट: कोरोना संक्रमण के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है और एक्टिव केस के मामले में तीसरे पर. ऐसे समय में आरोग्य सेतु ऐप की उपयोगिता और किसी भी तरह से संक्रमण रोकने में इसके कारगर होने को लेकर सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है.

आरोग्य सेतु ऐप किसने बनाया सरकार को नहीं पता, सीआईसी ने जारी किया कारण बताओ नोटिस

सरकार द्वारा एक याचिकाकर्ता को आरोग्य सेतु ऐप के बारे में कोई जानकारी न होने की बात कहने के बाद केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा कि जब ऐप को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा डिजाइन और विकसित बताया गया है, तब कैसे संभव है कि उनके पास कोई जानकारी ही नहीं है.

आरोग्य सेतु ऐप के प्रचार में सरकार ने साढ़े तीन महीने में ख़र्च किए 4.15 करोड़ रुपये

कोरोना महामारी से लड़ने के लिए मोदी सरकार द्वारा अप्रैल में लाया गया आरोग्य सेतु ऐप शुरुआत से ही नागरिकों की निजी जानकारी की सुरक्षा और इसकी उपयोगिता को लेकर विवादों में घिरा हुआ है.

आरोग्य सेतु ऐप के उपयोग को अनिवार्य बनाना गैरकानूनी: जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा

निजी डेटा सुरक्षा विधेयक का पहला मसौदा लेकर आने वाली समिति के अध्यक्ष जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा ने कहा कि आरोग्य सेतु के उपयोग को अनिवार्य बनाने के लिए जारी दिशानिर्देशों को पर्याप्त कानूनी समर्थन नहीं माना जा सकता है.

आरोग्य सेतु को लेकर नए दिशानिर्देश जारी, डेटा से छेड़छाड़ पर जेल का प्रावधान

12 मई से शुरू हो रही विशेष राजधानी ट्रेनों के यात्रियों के लिए आरोग्य सेतु ऐप को अनिवार्य कर दिया गया है. केंद्र सरकार का कहना है कि नए नियमों के बाद ऐप का डेटा इकट्ठा होने के ठीक 180 दिन बाद डिलीट हो जाएगा.

कोरोना: शिवसेना ने कहा- मुंबई लोकल बंद करने में देरी के कारण महाराष्ट्र में बढ़ा संक्रमण

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा कि मुंबई में लोकल ट्रेनों समेत रेल सेवाओं पर अगर पहले ही रोक लगा दी गई होती तो कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में इतनी वृद्धि नहीं होती. मुंबई में उपनगरीय ट्रेनों को प्राथमिकता से रोका जाना चाहिए था लेकिन भारतीय रेलवे के अधिकारी ‘इसके लिए इच्छुक नहीं’ थे.

महाराष्ट्रः कोरोना के डर के चलते चार अस्पतालों ने नहीं किया बीमार डॉक्टर को भर्ती, हालत गंभीर

मामला महाराष्ट्र के जलगांव का है. तेज़ बुखार से जूझ रहे डॉक्टर को अस्पतालों द्वारा समय पर भर्ती न किए जाने से उनकी तबियत बिगड़ गई और अब वे एक सरकारी अस्पाल में वेंटिलेटर पर हैं.