मध्य प्रदेश: कॉलेज पाठ्यक्रम में आरएसएस नेताओं की लिखीं किताबें शामिल करने का आदेश

मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी और निजी कॉलेजों के प्राचार्यों को लिखे पत्र में संस्थानों को 88 पुस्तकों का सेट खरीदने का निर्देश दिया है. इस सूची में सुरेश सोनी, दीनानाथ बत्रा, अतुल कोठारी, देवेंद्र राव देशमुख और संदीप वासलेकर जैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख नेताओं द्वारा लिखी गई पुस्तकें शामिल हैं.

एनसीईआरटी ने बारहवीं की किताब से गठबंधन की राजनीति से जुड़ा कार्टून हटाया

एनसीईआरटी ने कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक से देश में गठबंधन सरकार चला चुके प्रधानमंत्रियों को दिखाने वाले एक कार्टून को यह कहते हुए हटाया है कि यह भारत को नकारात्मक तरीके से दिखाता है.

सीबीएसई ने दसवीं कक्षा के नए पाठ्यक्रम से फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्में हटाईं

नए पाठ्यक्रम के मुताबिक, दसवीं की सामाजिक विज्ञान की किताब में धर्म, सांप्रदायिकता और राजनीति पाठ्यक्रम का हिस्सा बने रहेंगे लेकिन इसमें से पेज संख्या 46, 48, 49 पर बनी तस्वीरों को छोड़ दिया गया है. इन तस्वीरों में दो पोस्टर और एक राजनीतिक कार्टून हैं. इन पोस्टर में फ़ैज़ की नज़्में लिखी हुई थीं.

जम्मू कश्मीर: इस्लाम के ख़िलाफ़ ‘ईशनिंदा’ संबंधी सामग्री वाली किताब वापस लेने का निर्देश

जम्मू कश्मीर स्कूली शिक्षा बोर्ड ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख के सभी स्कूलों को दिल्ली के एक प्रकाशन हाउस द्वारा प्रकाशित एक किताब वापस लेने का निर्देश दिया, जिसमें इस्लाम के ख़िलाफ़ ‘ईशनिंदा’ करने वाली सामग्री है. प्रकाशन हाउस ने सातवीं कक्षा के लिए ‘हिस्ट्री एंड सिविक्स’ नाम की इस किताब के 2020 के संस्करण में ग़लती के लिए खेद जताया है.

कर्नाटक: विपक्ष के विरोध के बाद पाठ्यक्रम से टीपू सुल्तान, इस्लाम पर अध्याय हटाने पर रोक

राज्य सरकार ने कोविड-19 का हवाला देते हुए पहली से 10वीं कक्षा के पाठ्यक्रम कम करने के लिए इस्लाम, ईसाई धर्म, टीपू सुल्तान से जुड़े अध्याय हटाने का प्रस्ताव रखा था. इस पर विपक्षी दलों का कहना था कि सरकार अपने दक्षिणपंथी एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए ऐसा कर रही है.

स्कूल की पाठ्य पुस्तकों में महिलाओं को कम आंका गया: रिपोर्ट

ग्लोबल एजुकेशन मॉनीटरिंग रिपोर्ट 2020 के मुताबिक स्कूल की टेक्स्टबुक में शामिल महिला छवियों की संख्या न सिर्फ पुरुषों की तुलना में कम होती हैं बल्कि महिलाओं को कम प्रतिष्ठित पेशों में अंतर्मुखी एवं दब्बू लोगों की तरह दर्शाया गया है.