कारवां का कहना है कि 11 अगस्त 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में उनके तीन पत्रकारों पर भीड़ ने हमला किया था और उन्होंने इस बारे में पुलिस शिकायत दर्ज कराई थी. अब पुलिस का कहना है कि उनकी एफआईआर के विरोध में एक 'काउंटर एफआईआर' भी दर्ज की गई थी, जिसे अब तक पत्रिका या पत्रकारों को नहीं दिखाया गया.
यह शायद पहली बार था जब कश्मीर के सबसे प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थान में सेना सीधे तौर पर किसी राजनीतिक विषय पर कोई कार्यक्रम प्रायोजित कर रही थी.