उचित शिक्षा के बाद लड़कियां शादी करें, उम्र थोपने से नहीं मिलेंगे वांछित परिणाम: आरएसएस इकाई

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शीर्ष निर्णायक समिति की वार्षिक बैठक से पहले इसकी महिला शाखा राष्ट्र सेविका समिति ने कहा कि लड़कियों को उपयुक्त शिक्षा अर्जित करने के बाद ही विवाह करना चाहिए. पिछले साल दिसंबर में संसद में महिलाओं की शादी की उम्र 18 से 21 करने के प्रस्ताव संबंधी विधेयक पेश किया गया था, लेकिन लोकसभा ने यह विधेयक बाद में व्यापक चर्चा के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया.

युवतियों की विवाह उम्र बढ़ाने संबंधी विधेयक की पड़ताल करने वाली समिति में मात्र एक महिला सदस्य

युवतियों के विवाह की क़ानूनी आयु को बढ़ाकर 21 साल करने संबंधी विधेयक की जांच पड़ताल करने वाली संसद की स्थायी समिति के 31 सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव अकेली महिला हैं. देव ने कहा कि समिति में और महिला सांसद होतीं तो बेहतर होता.

शादी की क़ानूनी उम्र बढ़ जाने मात्र से महिलाओं का सशक्तिकरण नहीं होगा

भारतीय समाज में शादी-ब्याह के मामले पेचीदा विरोधाभासों और विडंबनाओं में उलझे हुए हैं. इन्हें किसी क़ानूनी करतब से सुलझाना नामुमकिन है. जब युवा महिलाओं को स्तरीय शिक्षा के साथ वाजिब वेतन पर रोज़गार मिलेगा तब वे सही मायने में स्वावलंबी और सशक्त बन सकेंगी. फिर वे ख़ुद तय करेंगी कि शादी करनी भी है या नहीं, और अगर करनी है तो कब, किससे और कैसे.

लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल करने से जुड़ा विधेयक स्थायी समिति को भेजा गया

बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक 2021 को लोकसभा में पेश करने के बाद विचार-विमर्श और सिफ़ारिशों के लिए स्थाई समिति के पास भेजा गया है. इस विधेयक में लड़कियों के विवाह की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 करने का प्रस्ताव है. विपक्ष के विरोध के बीच इसे मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया था.