तीन जनवरी 2018 को द ट्रिब्यून अख़बार में प्रकाशित पत्रकार रचना खेड़ा की रिपोर्ट में बताया गया था कि पेटीएम के ज़रिये सिर्फ़ 500 रुपये का भुगतान करने पर दस मिनट के भीतर एक एजेंट ने उन्हें लॉग-इन आईडी और पासवर्ड दिया, जिससे फोटो, फोन नंबर और ईमेल सहित किसी भी आधार नंबर की पूरी जानकारी ली जा सकती थी.
अमेरिकी ह्विसिल ब्लोवर स्नोडेन ने कहा कि आधार लीक मामले में द ट्रिब्यून की पत्रकार पर कार्रवाई की जगह उसे पुरस्कृत करना चाहिए.