मीडिया बोल की पांचवीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, द हूट की संपादक सेवंती निनान और एनडीटीवी की वरिष्ठ संपादक निधि कुलपति के साथ बंगाल के बसीरहाट और बादुरिया की सांप्रदायिक हिंसा के मीडिया कवरेज पर चर्चा कर रहे हैं.
जन्मदिन विशेष: गुरुदत्त फिल्म इंडस्ट्री का एक ऐसा सूरज थे, जो बहुत कम वक़्त के लिए अपनी रौशनी लुटाकर बुझ गया पर सिल्वर स्क्रीन को कुछ यूं छू कर गया कि सब सुनहरा हो गया.
जन गण मन की बात की 79वीं कड़ी में विनोद दुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्रा और विपक्ष के विफल होने पर चर्चा कर रहे हैं.
धोनी पर कई बार अपने चहेते खिलाड़ियों को टीम में लेने का आरोप लगा. लेकिन कप्तान विराट कोहली सहित टीम के कई मौजूदा खिलाड़ी मानते हैं कि उनकी सफलता में धोनी द्वारा उन पर दिखाए गए भरोसे का बड़ा हाथ है.
जन गण मन की बात की 78वीं कड़ी में विनोद दुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इज़रायल दौरे और राज्यपालों की भूमिका पर चर्चा कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को ग़लत ठहराया जहां उसने फर्ज़ी सर्टिफिकेट के आधार पर व्यक्ति को नौकरी की लंबी अवधि के चलते सेवा में बने रहने की अनुमति की बात कही थी.
गुजरात के कच्छ जिले के रापर तालुका में स्थित श्री जीवदया मंडल (एसजेएम) मवेशी खाने में 65 गाय और बछड़ों की मौत हो गई है.
जन गण मन की बात की 77वीं कड़ी में विनोद दुआ पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक तनाव और असम में बाढ़ पर चर्चा कर रहे हैं.
तांत्रिकों के सान्निध्य में मंत्रियों का जाना और पाप-पुण्य के फेर में पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाना अंधश्रद्धा पर सरकारी मुहर लगाना है.
जन गण मन की बात की 76वीं कड़ी में विनोद दुआ भारत-चीन विवाद और देश की बदहाल स्वास्थ्य सेवा पर चर्चा कर रहे हैं.
पुलिस अधीक्षक की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि महिला जहां गिरी मिली थी, वहां किसी भी प्रकार के एसिड की मौजूदगी नहीं पाई गई है.
मीडिया बोल की चौथी कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, एनडीटीवी के सीनियर एंकर रवीश कुमार और वरिष्ठ पत्रकार विद्या सुब्रह्मण्यम के साथ हिंदी मीडिया के ग़ैर-पेशेवर रवैये पर चर्चा कर रहे हैं.
जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी ने गाय और गोरक्षा के नाम पर क़ानून हाथ में न लेने की अपील की थी, उसी दिन झारखंड में एक व्यक्ति को गोमांस ले जाने के संदेह में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था.
सिनेमा निर्माण के इतने दशकों के बाद भी हिंदुस्तानी सिनेमा में महिला निर्देशकों की संख्या को उंगलियों पर गिना जा सकता है. सिनेमाई दुनिया में भी घोर लैंगिक असमानता है.
जीएसटी को लागू किए जाने से पहले सरकार ने छोटे कारोबारियों की चिंताओं को नज़रअंदाज़ किया. किसी को जीएसटी के जटिल प्रारूप के कारण छोटे व्यापारियों पर पड़नेवाले प्रभावों का आकलन करने की फुर्सत नहीं है, जिन पर वकील और सीए अभी से ही शिकारी बाज़ की तरह झपट पड़े हैं.