सोशल मीडिया पर भारतीय सैनिकों की फर्ज़ी तस्वीर और जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार का फर्ज़ी वीडियो साझा करने के बाद संबित पात्रा एक बार फिर झूठी ख़बर फैलाते हुए पाए गए हैं.
मीडिया बोल की पहली कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपेयी के मीडिया सलाहकार रहे अशोक टंडन के साथ प्रेस की स्वतंत्रता पर चर्चा कर रहे हैं.
‘जन गण मन की बात’ कार्यक्रम के बाद द वायर आपके लिए लेकर आ रहा है एक नया वीडियो कार्यक्रम ‘मीडिया बोल’. हर सोमवार शाम सात बजे प्रसारित होने वाले इस कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश मीडिया और उससे जुड़े मसलों पर चर्चा करेंगे.
पीट-पीट कर मार दिए गए मोहम्मद अख़लाक़ और पहलू खान के अलावा जेएनयू के लापता छात्र नजीब अहमद के परिवारवालों ने न्याय की मांग की है.
पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए ‘रेडइंक अवॉर्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट’ से सम्मानित होने के बाद वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ ने यह भाषण सात जून को मुंबई में हुए सम्मान समारोह में दिया.
जन गण मन की बात की 66वीं कड़ी में विनोद दुआ ‘जय जवान, जय किसान’ और बीफ़ विवाद पर चर्चा कर रहे हैं.
‘किसानों के छोटे क़र्ज़ से दिक्कत है, उन उद्योगपतियों से नहीं जो हज़ारों करोड़ का लोन डकार जाते हैं’
कृषि, रोज़गार और महंगाई समेत दूसरे आर्थिक मसलों पर द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु से अमित सिंह की बातचीत.
जन गण मन की बात की 65वीं कड़ी में विनोद दुआ प्रधानमंत्री जन धन योजना पर चर्चा कर रहे हैं.
विनोद दुआ भारत के पहले चुनाव विश्लेषकों में से एक हैं और वर्तमान में 'द वायर' पर 'जन गण मन की बात' कार्यक्रम के प्रस्तोता हैं.
जन गण मन की बात की 63वीं कड़ी में विनोद दुआ भारत के जीडीपी में गिरावट और हम होंगे कामयाब गीत पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 62वीं कड़ी में विनोद दुआ भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और डिजिटल इंडिया योजना की चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 61वीं कड़ी में विनोद दुआ बाबरी विध्वंस मामला और देश की उच्च शिक्षा पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 60वीं कड़ी में विनोद दुआ पशुवध पर पाबंदी और मेक इन इंडिया पर चर्चा कर रहे हैं.
तिब्बत में चीन के बढ़ते अत्याचारों के ख़िलाफ़ तिब्बत यूथ कांग्रेस के सदस्यों ने नई दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप करने की मांग की.
मोदी यह समझाने की कितनी भी कोशिश करें कि उनके आने से बदलाव आया है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि अर्थव्यवस्था से जुड़े अधिकांश क्षेत्रों में सरकार प्रगति करने के लिए जूझती नज़र आ रही है.