असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि बांग्लादेश में अशांति के बाद से घुसपैठ में भारी वृद्धि हुई है. पिछले पांच महीनों में असम में बांग्लादेश के करीब 1,000 लोग और पड़ोसी त्रिपुरा में भी लगभग इतने ही पकड़े गए हैं, लेकिन उनमें से कोई भी बांग्लादेशी हिंदू नहीं है.
नवंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को महाराजगंज के पत्रकार मनोज टिबरेवाल के दो मंजिला पैतृक घर और दुकान को अवैध रूप से ध्वस्त करने के लिए मुआवज़े के तौर पर 25 लाख रुपये देने का निर्देश दिया था. अब इस मामले में कई अधिकारियों के ख़िलाफ़ नामजद एफआईआर दर्ज की गई है.
मामला बदायूं का है, जहां कोतवाली सदर क्षेत्र के नई सराय के रहने वाले एक शख्स ने पुलिस पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए आत्मदाह का प्रयास किया. एसएसपी के मुताबिक, पुलिस ने तुरंत उस व्यक्ति को बचाया और उसे जिला अस्पताल पहुंचाया जहां से उसे बेहतर उपचार के लिए बरेली रेफर कर दिया गया.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने 2025 के लिए तैयार नई पाठ्यपुस्तकों में 1971 की स्वतंत्रता की घोषणा जियाउर रहमान द्वारा किए जाने का दावा किया है, जबकि पहले यह माना जाता रहा है कि घोषणा 'बंगबंधु' शेख मुजीबुर रहमान ने की थी.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने क़ैदियों के साथ जाति-आधारित भेदभाव पर सुप्रीम कोर्ट के 3 अक्टूबर, 2024 के आदेश के मद्देनज़र जाति के आधार पर बंदियों का वर्गीकरण रोकने के लिए जेल मैनुअल नियमों में संशोधन किया है. कोर्ट ने यह आदेश द वायर की पत्रकार सुकन्या शांता की याचिका पर दिया था.
मणिपुर पुलिस ने बताया कि 1 जनवरी की सुबह संदिग्ध उग्रवादियों ने इंफाल पश्चिम ज़िले के कदंगबंद में फिर से हमला किया. 31 दिसंबर को कांगपोकपी में कुकी महिलाओं और सुरक्षाबलों की बीच झड़प हुई थी. इसी दिन सीएम एन. बीरेन सिंह ने राज्य में मई 2023 से जारी हिंसा को लेकर माफ़ी मांगी.
पुस्तक समीक्षा: कौशल किशोर की किताब 'भगत सिंह और पाश: अंधियारे का उजाला' इस बात का सिलसिलेवार दस्तावेज़ है कि इस देश के जन-आंदोलनों, संस्कृतिकर्मियों और रचनाकारों के पास भगत सिंह और पाश की विरासत है, जिन्होंने जनता की लड़ाई पूरी ताकत और ईमानदारी से लड़ी है.
इतिहासकार डॉ. अपर्णा वैदिक पर सोशल मीडिया के माध्यम से हमले हो रहे हैं. कानपुर के एक लिट फ़ेस्ट में उनकी नई किताब पर चर्चा के दौरान कुछ विवाद उठे. आरोप लगा कि अपर्णा ने भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों के लिए अपमान सूचक शब्दों का प्रयोग किया. लेकिन सच्चाई कुछ और है.
आज़ादी से पहले बस्ती जिले में जमींदारों ने किसानों व मजदूरों को 'सबक' सिखाने के लिए यह कहकर कुंओं व तालाबों से पानी लेने पर रोक लगा दी कि उनसे पानी लेने का उनका कोई हक नहीं बनता. लेकिन किसानों ने इस रोक के विरुद्ध अप्रत्याशित रूप से नई रणनीति अपनाकर उलटे ज़मींदारों को ही पानी पिला दिया था.
एक पाठक के तौर पर फर्नान्दो पेसोआ लेखकों-किताबों की बनती-बिगड़ती रहने वाली मेरी उस लिस्ट में हमेशा शामिल रहा है जिन्हें हर साल पढ़ा-गुना जाना होता है.
भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को 1996 से मुफ्त इलाज प्रदान करने वाला सम्भावना ट्रस्ट क्लिनिक अब धन की कमी के कारण अपनी सेवाएं बंद कर रहा है. पीड़ितों के एक संगठन ने ट्रस्ट के एफसीआरए पंजीकरण की मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय से शीघ्र निर्णय की अपील की है.
इस साल पेंगुइन स्वदेश ने हिंदी और भारतीय भाषाओं में कई किताबें प्रकाशित की हैं. 2024 के अपने हासिल का लेखा-जोखा दे रही हैं पेंगुइन रेंडम हाउस इंडिया’ में भारतीय भाषाओं की प्रकाशक वैशाली माथुर.
देश के वंचितों के लिए यह वर्ष मिले-जुले असर वाला रहा. वंचितों के सामाजिक-सांस्कृतिक आंदोलनों का सिमटता दायरा चिंताजनक है, लोकतंत्र को समावेशी और मजबूत बनाने के लिए इनका विस्तार बहुत जरूरी है.
गगन गिल को 'मैं जब तक आई बाहर' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार देने की घोषणा हुई है. उनकी कविताएं स्त्री मन के अकेलेपन, जीवन की क्षणभंगुरता और सामाजिक बदलाव को उकेरती हैं. उनका लेखन जीवन के स्याह पक्ष को आत्मसात करते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा का गहन दर्शन प्रस्तुत करता है.
वर्ष 2024 भारतीय राजनीति में संविधान और आंबेडकर की केंद्रीयता का वर्ष रहा. लोकसभा चुनाव संविधान के प्रावधानों और उसकी रक्षा के मुद्दे पर लड़ा गया. विपक्ष ने संविधान और आरक्षण पर खतरे को जोर-शोर से उठाया, जबकि सत्तापक्ष हिंदुत्व के मुद्दे पर रक्षात्मक रहा. लेकिन इसे चुनावी रणनीति तक सीमित रखना जनता के साथ एक छलावा होगा. जरूरत है कि संविधान और बाबा साहेब पर केंद्रित इस बहस को परिवर्तनकामी दिशा देने की.