एआईएमआईएम के राष्ट्रीय एकीकरण दिवस के मद्देनज़र ‘तिरंगा यात्रा’ निकाली. इस दौरान पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जिन्होंने हैदराबाद (पूर्व) रियासत की आज़ादी के लिए एक बूंद पसीना नहीं बहाया, वे अब इसे ‘मुक्ति दिवस’ कह रहे हैं.
आज जब दुनिया में नाना प्रकार के खोट उजागर होने के बाद भूमंडलीकरण की ख़राब नीतियों पर पुनर्विचार किया जा रहा है, हमारे यहां उन्हीं को गले लगाए रखकर सौ-सौ जूते खाने और तमाशा देखने पर ज़ोर है.
देश के झंडे को भी क्यों सांप्रदायिक आधार पर बांटा जा रहा है? क्या हम लड़ते-लड़ते इतने दूर आ गए हैं कि देश के झंडे का भी बंटवारा कर देंगे?
बहादुर सैनिकों की शहादत पवित्र श्रद्धांजलि की हक़दार है, लेकिन अगर सरकार ने हालात को ज़्यादा सक्षम तरीके से संभाला होता, तो शायद आज वे ज़िंदा होते.