कविता बेआवाज़ को आवाज़ देती है, अनदेखे को दिखाती है, अनसुने को सुनाती है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: कविता याद रखती है, भुलाने के विरुद्ध हमें आगाह करती है. जब हर दिन तरह-तरह के डर बढ़ाए-पोसे जा रहे हैं, तब कविता हमें निडर और निर्भय होने के लिए पुकारती है. यह समय हमें लगातार अकेला और निहत्था करने का है: कविता हमें अकेले होने से न घबराने का ढाढ़स बंधाती है.